भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली करीब दो – तिहाई मौतें डीजल वाहनों के धुएं से हो सकती हैं। वर्ष 2015 में वैश्विक स्तर पर लगभग 385,000 मौतों की वजह यही रही। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी), जार्ज वाशिंगटन यूनीवर्सिटी और कोलोरैडो यूनीवर्सिटी के शोधार्थियों ने इस सिलसिले में 2010 से 2015 तक वैश्विक, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर अध्ययन किया। अध्ययन से वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय स्वास्थ्य प्रभावों की सर्वाधिक विस्तृत तस्वीर मुहैया हुई। परिवहन से प्रति एक लाख आबादी पर लंदन और पेरिस में हुई मौतें वैश्विक औसत से दो – तीन गुना अधिक है।