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” सुंदर विश्विद्यालय को बदसूरत बनाने की तैयारी ” , बैकडोर एंट्री में कई फँसेंगे

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बिलासपुर । पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में नॉन टीचिंग स्टाफ की भर्ती को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है. विज्ञापन निकालने के पूर्व ही प्रदेश के मंत्री, नौकरशाहों, के करीबियों और विश्वविद्यालय के ही स्टाफ को नियुक्ति देने के लिए यह वैकेंसी निकाली गई है .जिसमें की सभी भर्ती नियमों को ताक में रखकर दोषपूर्ण चयन प्रक्रिया अपनाई गई है, इतना ही नहीं जिन लोगों की नियुक्ति की जानी है , उनके नाम की पहले से तय किए जा चुके हैं. मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय, राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग में की गई है.

भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पूर्व पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में सिस्टम एनालिस्ट, जनसंपर्क अधिकारी, सहायक छात्र कल्याण अधिकारी सहायक क्षेत्रीय निदेशक और छात्र कल्याण अधिकारी के एक- एक पद के लिए विज्ञापन निकाला गया था, विज्ञापन निकालने के बाद ही पूरा मामला घोटाले की भेंट चढ़ गया है. मंत्री , नौकरशाहों और विश्वविद्यालय में ही कार्यरत लोगों की नियुक्ति करने के लिए दोषपूर्ण प्रक्रिया अपनाई गई .इसमें सबसे पहले कार्य परिषद से कोई भी अनुमोदन नहीं लिया गया, जब यह मामला बाहर आया, तब आनन-फानन में विज्ञापन को रद्द करके कुछ दिन बाद दूसरा विज्ञापन जारी किया गया . इस विज्ञापन में भी वित्त समिति से कोई भी अनुमति नहीं ली गई है. खास बात यह भी है कि विज्ञापन मे परीक्षा के नियमों को लेकर भी नियमों की धज्जियां उड़ाई गई . विज्ञापन में कहा गया कि दो परीक्षाएं ली जाएंगी, जिसमें पहली परीक्षा ऑप्शनल और दूसरी परीक्षा रिटर्न फॉर्मेट नहीं होगी . पहले ऑप्शनल परीक्षा उत्तीर्ण करने वाला विद्यार्थी ही रिटर्न परीक्षा में प्रतिभागी हो सकेगा और इसके बाद ही इंटरव्यू के लिए पात्र होगा. लेकिन परीक्षा के बाद कोई भी रिजल्ट घोषित नहीं किया गया, दोनों चरणों के परीक्षा के परिणाम घोषित नहीं किए गए, सीधे चयनित किए जाने वालों को मेल से इंटरव्यू का कॉल लेटर भेजा गया है. विज्ञापन में किसी भी प्रकार का सिलेबस नहीं बताया गया था, और हवा हवाई में ही परीक्षा ले ली गई.

अब इंटरव्यू 24 तारीख से

उक्त पदों के लिए इंटरव्यू आयोजित किया जा रहा है. इस बात को लेकर पूरे प्रदेश स्तर पर हंगामा मचा हुआ है लोगों ने इसकी शिकायत उच्च शिक्षा विभाग राज भवन से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक कर दी है. इस मामले की जानकारी आने आनन-फानन जांच समिति बकवास बनाकर गोपनीय जांच भी की जा रही है, इस दौरान जिनका चयन किया जाना है वह संभावित लोगों से भी पुलिस पूछताछ कर रही है.

सेवा नियम नहीं और दावा-आपत्ति भी नहीं

विज्ञापित पदों के लिए कोई भी सेवा नियम नहीं बनाए गए हैं जबकि नियमानुसार स्वाभिमान की नियुक्ति के लिए प्रथक से सेवा नियम बनाया जाना है यह सेवा नियम विज्ञापन के पूर्व बनाया जाना आवश्यक होता है साथ ही शासन के संज्ञान में सेवा नियमों को बताया जाना होता है इसी तरह रिजल्ट के संदर्भ में कोई भी दावा आपत्ति आमंत्रित नहीं की गई और ना ही कोई पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई है ।

इनका होगा चयन

सिस्टम एनालिस्ट के लिए शिक्षा विभाग के एक सचिव के पिए रह चुके व्यक्ति का चयन किया जाना तय है , जिसे पूर्व में ही चीफ सेक्रेटरी ने शिकायत के आधार पर हटा दिया था. वह वर्तमान में सचिव के घर में अपनी सेवा दे रहे हैं.प्रोग्रामर के पद पर विश्वविद्यालय की एक कर्मचारी का चयन तय माना जा रहा है जिससे कि सेलेक्ट कर इंटरव्यू कॉल किया गया है.सहायक छात्र करना अधिकारी के पद में मंत्री के करीबी का चयन किया जाना है , जो रायगढ़ के रहने वाले हैं और वर्तमान में कुलपति सचिवालय में पदस्थ हैं. इसी तरह छात्र कल्याण अधिकारी के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा के एक रसूखदार के करीबी का चयन किया जाना है जो वर्तमान में विश्वविद्यालय में ही पदस्थ हैं. सहायक क्षेत्रीय निदेशक के पद पर विश्वविद्यालय में ही पदस्थ व्यक्ति का चयन किया जाना है..

पुलिस के आला अधिकारियों ने की पूछताछ

शिकायत के बाद हंगामा मचा हुआ है, राज्य से केंद्र सरकार तक शिकायत होने के बाद समिति भी गठित की गई है. जिन लोगों का चयन किए जाने की प्रमाणिक जानकारी मिली है , उन लोगों से पुलिस ने ने भी पूछताछ की है ।

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