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74 बार नकारे जाने के बाद भी नहीं मानी हार

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नई दिल्ली: रुचि कालरा और आशीष माहापात्रा को अपने आप को पैरेंट्स कहलाना सबसे अधिक अच्छा लगता है। उनके तीन बच्चे हैं। खुशी, जो छह साल की है। ऐसा लगता है कि वह अपनी उम्र से काफी अधिक बढ़ी हो गई है। वह अभी से दुनियाभर के सपने देखती है। इसके अलावा अन्य दो भी काफी अधिक तेजी से बड़े हुए हैं। इनकी बदौलत रुचि और आशीष भारत में काफी अधिक लोकप्रिय सीईओ (CEO) बन गए हैं। इन दोनों के ही पास एक-एक अरब डॉलर की कंपनियां हैं और इस तरह ये देश के पहले यूनिकॉर्न कपल (Unicorn Couple) बन गए हैं। रुचि कहती हैं, ‘ऑफबिजनेस हमारी बेटी जितनी ही उम्र की है। इसलिए, हमने 2016 में दो बच्चों को जन्म दिया और हमने काफी समझदारी से दोनों की परवरिश की है।’

74 रिजेक्शंस के बाद मिली सफलता

ऑफबिजनेस (Ofbusiness) और उसके छोटे भाई ऑक्सीजो (Oxyzo) की सफलता सिर्फ अच्छे पालन-पोषण तक ही सीमित नहीं है। इसके लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे। इस सफलता के पीछे 74 रिजेक्शंस छिपे हुए हैं। उनकी सीरीज बी फंडिंग पिच को 74 रिजेक्शन मिले थे, उसके बाद उन्हें सफलता हासिल हुई थी।

सिक्योरिटी गार्ड ने रोक लिया था गेट पर
एक बार तो आशीष को सिक्योरिटी गार्ड ने गेट के अंदर ही नहीं जाने दिया था। आशीष ने कहा, ‘यह छह साल पहले की बात है, जब मैं एक कंपनी के पास अपनी सेवाओं के बारे में बताने गया था। तब गार्ड ने मुझे अंदर नहीं जाने दिया था। इस हफ्ते, हम उस कंपनी को खरीद रहे हैं।’

टाटा का रास्ता और प्लान बी

ऑफबिजनेस के सीईओ ने कहा, ‘बी सीरीज फंडिंग की असफलताओं के समय मैंने “टाटा के रास्ते पर चलने” के अपने दृष्टिकोण को नहीं छोड़ा और प्लान बी पर गया- हर्षा भोगले का रास्ता.. एक स्पोर्ट्स कमेंटेटर के रूप में अपनी किस्मत आजमाने का.. हाथ में माइक लेकर पूरे जोश के साथ कहूं.. बूम बूम बुमराह। उन्होंने कहा, ‘मुझे बोलना पसंद है। खासकर कमेंट्री करना। मैं एक स्पोर्ट्स कमेंटेटर के रूप में वास्तव में अच्छा करूंगा।’

बेहद मुश्किल है स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनाना
यूनिकॉर्न (Unicorn) से मतलब है कि उस स्टार्टअप की वैल्यूएशन (Valuation) एक अरब डॉलर हो जाए। कई बार हारने के बाद, घाटा खाने के बाद और बेहद संघर्षपूर्ण समय से गुजरकर कोई स्टार्टअप सफल बनता है। ऐसे में एक स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बना देना बिल्कुल भी आसान नहीं होता। रुचि कालरा और आशीष देश के पहले यूनकॉर्न कपल हैं। रुचि कालरा ने ऑक्सीजो फाइनेंशियल सर्विसेज (Oxyzo Financial Services) को यूनिकॉर्न बनाया तो आशीष ने ऑफबिजनस (OfBusiness) को एक अरब डॉलर के वैल्यूएशन तक पहुंचाया।

कैसे साथ आए दोनों
रुचि कालरा 38 साल की हैं और आशीष 41 साल के हैं। दोनों आईआईटी (IIT) से पढ़ाई करने के बाद मैकिन्से एंड कंपनी (McKinsey & Co.) में काम कर रहे थे। यहां ही दोनों की मुलाकात हुई। फिर दोस्ती गहरी हो गई। दोनों का ही एंटरप्रेन्योरशिप में जाने का मन था। वे दोनों अपना खुद का बिजनस करना चाहते थे और लीक से हटकर कुछ नया करना चाहते थे। ये दोनों काफी समय तक यह सोचते रहे कि कब नौकरी (Job) छोड़ें और अपना बिजनस शुरु करें। आखिरकार उन्होंने अपना बिजनेस शुरू किया, जिसकी सफलता आप देख ही रहे हैं।

ऑक्सीजो को बनाने में है दोनों पति-पत्नी का योगदान

ऑक्सीजो नाम बड़ा रोचक है। यह ऑक्सीजन और ओजोन से मिलकर बना है। ऑक्सीजो को बनाने में सिर्फ कालरा ही नहीं, बल्कि उनके पति महापात्रा का भी योगदान है। ऑक्सीजो की स्थापना ऑफबिजनस की एक ब्रांच के रूप में हुई थी। बता दें कि ऑक्सीजो से एक साल पहले साल 2016 में ही ऑफबिजनस की शुरुआत हुई थी। साल 2017 में रुचि कालरा, महापात्रा और अन्य तीन लोगों ने मिलकर इस स्टार्टअप की स्थापना की थी।(साभार एन बी टी)

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