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2019: यूपी में बीजेपी हर सीट के लिहाज से बना रही है योजना

Politics

यूपी की 80 लोकसभा सीटें बहुत हद तक यह तय करती हैं कि केंद्र में किसकी सरकार बनेगी। यही वजह है कि बीजेपी और आरएसएस की अगुआई में संघ परिवार 2014 वाला करिश्मा दोहराने के लिए पिछले तीन महीनों से एक अहम योजना पर जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। योजना में प्रत्येक 80 सीटों पर नेताओं और काडर की तैनाती और लोगों के बीच किन-किन मुद्दों की ज्यादा चर्चा है, इसके लिए ग्राउंड जीरो से फीडबैक इकट्ठा करने की योजना भी शामिल है।
गुजरात के पूर्व गृह मंत्री गोरधन झड़फिया की बुधवार को हुई नियुक्ति इसी रणनीति का एक हिस्सा है। पार्टी की रणनीति है कि यूपी में बीजेपी की मजबूती में योगदान दे सकने वाले नेता, कार्यकर्ता अपने-अपने मतभेदों और अहं को किनारे रख एकजुट होकर काम करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से असंतुष्ट अन्य नेताओं को भी चुनाव से पहले औपचारिक या अनौपचारिक तौर पर साधने की कोशिश हो सकती है।
यूपी में देश के किसी भी अन्य राज्य के मुकाबले सबसे ज्यादा 80 लोकसभा की सीटें हैं और 2014 में बीजेपी की अगुआई में एनडीए ने 73 सीटों पर जीत दर्ज किया था। पार्टी एसपी और बीएसपी के गठबंधन की सूरत में होने वाले नुकसान को कम से कम करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। आरएसएस और वीएचपी जैसे संगठन न सिर्फ अयोध्या में राममंदिर मुद्दे पर मुखर हुए हैं बल्कि जमीन पर सक्रिय हो चुके हैं। यूपी की जिन 71 सीटों पर बीजेपी ने पिछली बार जीत हासिल की थी, उन सभी सीटों पर आरएसएस प्रभारियों की नियुक्ति हो चुकी है। प्रभारी संबंधित सांसद के प्रदर्शन और इस बार उनके जीतने की संभावना को लेकर फीडबैक इकट्ठा कर रहे हैं। इसी फीडबैक के आधार पर बहुत हद तक तय होगा कि इन सीटों पर किसे टिकट मिलेगा।
आरएसएस के संयुक्त महासचिव कृषण गोपाल यूपी की सियासी गतिविधियों की निगरानी कर रहे हैं और उनके शब्द ही आने वाले चुनाव में तमाम नेताओं की किस्मत तय करेंगे। आरएसएस बीजेपी को सुझाव दे रही है कि किन मुद्दों पर उसे बढ़त हासिल है और किन मुद्दों पर पार्टी पिछड़ती दिख रही है।
मोदी भले ही यूपी में अभी भी लोकप्रिय हैं लेकिन वह कोई चांस नहीं लेना चाहते। इसका अंदाजा उनके निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में तैनात बीजेपी नेताओं की तादाद से लग सकता है। गुजरात के नवसारी से बीजेपी सांसद सी. आर. पाटिल अपने ज्यादातर वीकेंड्स वाराणसी में प्रॉजेक्ट्स की प्रगति की देखरेख के लिए गुजार रहे हैं। इसके अलावा गाजीपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, यूपी बीजेपी अध्यक्ष और चंदौली से सांसद महेंद्र नाथ पाण्डेय भी वाराणसी में सक्रिय हैं। झड़फिया खुद 2014 के चुनावों में वाराणसी में काम कर चुके हैं और बाद में उन्होंने सूबे में किसानों और पिछड़ी जातियों के बीच काम किया था। यूपी के लिए नए चुनाव-सह प्रभारी दुष्यंत गौतम और नरोत्तम मिश्रा भी अपनी-अपनी योजनाओं के साथ सूबे में सक्रिय हैं। गौतम जहां दलित वोटरों को लुभाएंगे वहीं मिश्रा का इस्तेमाल बुंदेलखंड क्षेत्र में होगा जहां सवर्णों की अच्छी-खासी तादाद है।

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