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1 करोड़ के लालच में PHD स्कॉलर का मर्डर, आरी से काट डाली बॉडी

Crime

गाजियाबाद: एक करोड़ रुपये हड़पने के लालच में एक मकान मालिक ने पीएचडी स्टेटिक्स में स्कॉलर की हत्या के बाद उसके शव की तीन टुकड़े कर उन्हें अलग अलग जगहों पर फेंक दिया। यह मामला गाजियाबाद के मोदीनगर के राधा एन्क्लेव गली नंबर-3 का है। छात्र की हत्या 6 अक्टूबर को की गई थी। शक होने पर दोस्तों ने 12 दिसंबर को पुलिस में शिकायत दी। पुलिस ने युवक के मकान मालिक, उसकी पत्नी समेत 6 को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो आरोपियों ने हत्या की बात कबूल की।

इस संबंध में पुलिस ने मकान मालिक उमेश और उसके दोस्त प्रवेश को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त आरी, जले कपड़े, पासबुक, डेबिट कार्ड, मोबाइल फोन और बाइक बरामद कर ली है। जबकि अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही है। डीसीपी देहात ईरज राजा ने बताया कि जिन 3 जगहों पर शव डालने के बारे में बताया गया है, वहां उसे तलाश किया जा रहा है। हालांकि पुलिस को जहां हत्या की गई वहां खून के धब्बे और कुछ बाल समेत खून से सने कपड़े बरामद हुए हैं। इनकी फरेंसिक जांच की जा रही है।

आरोपी की पत्नी को कहता था बहन
मूलरूप से बागपत का रहने वाले अंकित खोखर (45) अपने एक रिश्तेदारों की मदद से उमेश नाम के व्यक्ति को पिछले 3 साल से जानते थे। अंकित लखनऊ से पीएचडी कर रहे थे। वह करीब छह महीने पहले पढ़ाई के लिए उमेश के मकान में किरायेदार के रूप में आए थे। हालांकि फिलहाल स्टेटिक्स में पीएचडी स्कॉलर हो गया था। माता पिता की मौत के बाद उन्होंने पैतृक संपत्ति बेची थी। इससे एक करोड़ रुपये मिले थे। इसकी जानकारी मकान मालिक उमेश को भी थी।

उमेश ने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए अंकित से 40 लाख रुपये उधार लिए थे। उसने रुपये लेते वक्त झांसा दिया था कि कारोबार आगे बढ़ाकर वह इससे ज्यादा रुपये लौटा देगा। उमेश ने पुलिस को बताया कि अंकित के अकाउंट में 40 लाख रुपये लेने के बाद भी काफी पैसे बचे हुए थे। वह अकेला था इसकी जानकारी भी उन्हें थी।

ऐसे में देनदारी से बचने और उसके अकाउंट के बाकी रुपये हड़पने के लिए उमेश ने अंकित की हत्या की प्लानिंग की। इस दौरान अंकित लखनऊ गए हुए थे। उनके लौटने के बाद उमेश एक दिन दावत के नाम पर उनके घर गया और मौका देखकर कुछ साथियों के साथ मिलकर गला घोंटकर हत्या कर दी।

आरी से तीन हिस्सों में काटा शव
पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि 6 अक्टूबर को उमेश ने अंकित के कमरे में ही उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद वह उनके कमरे में दरवाजे को लॉक कर चला गया। बाद में वह मार्केट से आरी और पैकिंग के सफेद पॉलिथीन लेकर आया। इसके बाद उसने कमरे में ही शव को तीन अलग अलग हिस्सों में आरी की मदद से काटा और उसे पॉलिथीन में पैक कर दिया।

अलग अलग जगहों पर फेंके शव के टुकड़े
उमेश ने पुलिस को बताया कि उसे पता था कि अंकित का कोई नहीं है। ऐसे में उसके लापता होने पर कोई जल्दी शिकायत नहीं करेगा। वहीं उसका शव न मिलने पर वह पकड़ा भी नहीं जाएगा। ऐसे में सबसे पहले उसने उसके शव के एक टुकड़े को 6 अक्टूबर को ही (हत्या वाले दिन) खतौली नहर मुजफ्फरनगर में फेंक दिया। इसके बाद अगले दिन दूसरे हिस्से को मसूरी नहर और तीसरे टुकड़े को इस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे किनारे फेंककर फरार हो गया।

हत्या के बाद अकाउंट से निकाले रुपये
जांच में सामने आया है कि हत्या के बाद उमेश ने अंकित के दो अकाउंट से 20-20 लाख रुपये फोन से ऑनलाइन ट्रांसफर किए। जब इसकी शिकायत नहीं हुई तो उसने अपने बिसरख के रहने वाले दोस्त प्रवेश को उसका एटीएम देकर उत्तराखंड जाकर रुपये निकालने के लिए कहा। जिससे अगर जांच भी हो तो लोकेशन गाजियाबाद की न मिले। प्रवेश ने 1 दिसंबर से 12 दिसंबर के बीच अलग अलग स्थानों से 1 लाख 20 हजार रुपये निकाले।

ऐसे खुला पूरा केस
पूछताछ में अंकित के दोस्तों ने बताया कि हम लोग अक्सर रात में फोन से चैटिंग करते थे। बीच में यह सिलसिला बंद हो गया था। उन्होंने जब कॉल किया तो कॉल पिक नहीं हुई, लेकिन चैटिंग का जवाब आने लगा। पर इस चैटिंग के दौरान कई चीजें ऐसी हुईं जिससे उन्हें शक हुआ। अंकित के फोन से होने वाली चैटिंग में अक्सर स्पेलिंग की गलती होने लगी थी।

इसके अलावा कुछ फैक्चुअल मिस्टेक भी होने लगी थी। इससे उन्हें संदेह होने लगा। इसके बाद वे लोग गाजियाबाद में उस घर में आए जहां अंकित रहते थे। यहां मकान मालिक ने कहा कि अब वह यहां नहीं रहता। इस पर उनका शक और बढ़ गया। इसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दी।

डीसीपी देहात ने बताया कि 6 अक्टूबर को हुई अंकित की हत्या के मामले में उन्हें बीच में कोई सूचना नहीं मिली थी। 12 दिसंबर को उसके दोस्त रूपेश ने मोदीनगर आकर पुलिस को उससे संपर्क नहीं होने की बात कही थी। जब अंकित के बारे में जानकारी की गई तो उसके पास रुपये होने के बारे में पता चला। एटीएम और अन्य ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भी की गई थी।

मकान मालिक उमेश शर्मा पर शक होने पर उसे हिरासत में लिया गया। पहले उसने जानकारी होने से इनकार किया। बाद में डिजिटल जानकारी और अंकित द्वारा उसे रुपये देने का पता चलने पर जब पूछताछ की गई तो शक गहरा गया और सख्ती से पूछताछ में उसने गुनाह कबूल किया।(साभार एन बी टी)

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