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सवर्णों के आतंक से परेशान 100 दलितों ने छोड़ा गांव

Crime

मुंबई
महाराष्ट्र में भले ही ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू जी महाराज और बाबासाहेब आंबेडकर का नाम लिया जाता हो। उनके नाम पर राजनीति की जाती हो लेकिन इनके शब्दों को लोगों ने अपने जीवन में बिल्कुल भी नहीं उतारा है। यह बात इसलिए सच लगती है क्योंकि महाराष्ट्र के अमरावती जिले में 100 दलितों को दबंगों के अत्याचार की वजह से गांव छोड़ना पड़ा है। इस घटना से महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरा देश शर्मसार हुआ है। इस घटना के बाद इलाके में जातीय तनाव भी बना हुआ है। 21वीं सदी में भले ही इंसान ने कितनी भी तरक्की कर ली हो। लेकिन जात-पात को भुलाने में वह काफी हद तक नाकाम रहा है।

महाराष्ट्र के अमरावती जिले के चांदूर रेलवे तहसील दानापुर इलाके में जातीय भेदभाव से तंग आकर विरोध स्वरूप 100 दलितों ने गांव को छोड़ दिया है। इन सभी लोगों गांव के नजदीक पाझर तालाब के पास डेरा जमाया हुआ है। इन लोगों का कहना है कि अब वापस गांव नहीं जाएंगे। इसलिए गांव में मौजूद उनकी जमीन जायदाद की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। इस बाबत इन सभी लोगों ने प्रशासन को सूचित भी किया है। गांव छोड़ने वाले लोगों से स्थानीय प्रशासन को सूचित करते हुए कहा है कि हमारे ऊपर हो रहे अत्याचारों को हम कब तक सहेंगे। अब हमको इस गांव में रहने की जरा भी इच्छा नहीं है।

क्या है मामला
पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी के कार्याध्यक्ष चरणदास इंगोले के मुताबिक इस पूरे मामले की असल जड़ वह रास्ता है। जिस से गुजर कर गांव का दलित समाज अपने खेतों तक जाता है। दलित समाज का यह आरोप है कि इस रास्ते का इस्तेमाल करने पर गांव के दबंग सवर्ण लोग नाराज होते हैं। और कई बार उन्होंने इस बात को लेकर उनके साथ गाली गलौज और मारपीट भी की है। दबंगों ने इस रास्ते को भी बंद कर दिया था।
डर की वजह से दलित समाज ने उस रास्ते से जाना बंद कर दिया था। कुछ दिन पहले एक गरीब दलित परिवार ने जब उस रास्ते के जरिए खेत में लगी सोयाबीन की फसल जाकर देखने का प्रयास किया तो सवर्णों ने उनकी फसल को ही आग लगा दी। इस वजह से पूरी फसल जलकर राख हो गई। इसी घटना के बाद गांव के 100 दलित लोगों ने गांव छोड़ दिया इन लोगों का कहना है कि गांव के दबंग हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं इस वजह से आप कहां हो जाने की हिम्मत नहींं होती।
छेड़खानी का भी आरोप

दलित समाज का यह भी आरोप है कि सवर्ण समाज के लड़के उनकी नाबालिग लड़कियों के छेड़खानी भी करते हैं। इस बाबत पुलिस में शिकायत भी दी गई थी। मामले के कोई कार्रवाई ना होते देख गांव वालों ने आमरण अनशन किया तब जाकर आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकी थी।साभार नवभारतटाइम्स)

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