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भारत में नोट पॉलिटिक्स! मां लक्ष्मी पर सियासी दंगल

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खंडवाः देश की सियासत में इन दिनों करंसी नोट पर तस्वीरों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इसकी शुरुआत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक बयान से हुई जिसमें उन्होंने करंसी नोट पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर छापने की मांग की थी। उनका बयान सामन आते ही तमाम दलों के नेता केजरीवाल पर कटाक्ष करने लगे। इसमें सबसे आगे बीजेपी के नेता ही रहे। हालांकि, सच्चाई यह है कि करीब तीन साल पहले बीजेपी के फायरब्रांड नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी यही मांग कर चुके हैं।

खंडवा में स्वामी ने दिया था बयान
जनवरी, 2020 में मध्य प्रदेश के खंडवा आए सुब्रमण्यम स्वामी ने मांग की थी कि भारतीय मुद्रा पर लक्ष्मी की फोटो होनी चाहिए। उन्होंने इसका कारण भी विस्तार से बताया था। स्वामी ने कहा था कि लक्ष्मी धन की देवी हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता बताते हुए उन्होंने कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए नोटों पर लक्ष्मी की फोटो छापी जा सकती है और इसमें किसी को बुरा नहीं लगना चाहिए।

केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक हुई बीजेपी
इधर, केजरीवाल के बयान के बाद बीजेपी ही उनके खिलाफ सबसे ज्यादा आक्रामक है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर केजरीवाल पर तंज कसा। विज ने अपने ट्वीट में कहा है कि आखिरकार लक्ष्मी के पुजारी केजरीवाल के होठों पर बात आ ही गई। बहाना चाहे नोट पर तस्वीर छापने का हो, लेकिन हर काम करने से पहले लक्ष्मी आंखों के सामने ही रहेगी। केजरीवाल तेरी माया अपरंपार।

दूसरे दलों के नेता भी पीछे नहीं
केजरीवाल पर हमला बोलने में दूसरी पार्टियां भी पीछे नहीं हैं। कांग्रेस के नेता गौरव वल्लभ ने कहा है कि आम आदमी पार्टी के सभी निर्णय बीजेपी ही लेती है। गौरव वल्लभ ने केजरीवाल की इस मांग को वोट की राजनीति करार दिया। समाजवादी पार्टी के सांसद सैयद तुफैल हसन ने कहा है कि हो सकता है कि मलेशिया और इंडोनेशिया में नोटों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें छपी हों, लेकिन इससे धार्मिक भावनाओं के अपमान की संभावनाएं ज्यादा हैं।

यहां अटका है मामला
बहरहाल, यह मामला इतनी जल्दी ठंडा होता नहीं दिख रहा। बीजेपी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि केजरीवाल का यह बयान उनके सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर बढ़ने का इशारा कर रहा है। गुजरात के आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए इससे मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गाहे-बगाहे सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता अख्तियार करने वाली कांग्रेस को भी इस बयान से अपने लिए मुश्किलें दिख रही हैं। इसलिए केजरीवाल सबके निशाने पर हैं जबकि सच्चाई यह है कि यह मांग करने वाले वे पहले व्यक्ति नहीं हैं। बीजेपी के नेता भी पहले यही मांग कर चुके हैं।(साभार एन बी टी)

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