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प्लेन से चोरी करने जाते थे, 23 साल बाद पकड़ में आया बुजुर्गों का गैंग…

Crime

गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में तमिलनाडु का एक गैंग पकड़ा गया है। बुजुर्गों के एक गैंग को पुलिस ने पकड़ा है। प्लेन से चोरी करने के लिए पूरे देश में घूमता था। 23 साल में 3 हजार से ज्यादा वारदात कीं। लग्जरी गाड़ियां निशाने पर होती थीं। गुलेल से पलक झपकते ही शीशा तोड़ देते थे। फिर कार में रखा कीमती सामान लेकर फुर्र हो जाते। किसी भी शहर में एक-दो दिन से ज्यादा नहीं रुकते। चोरी के बाद गैंग के एक बदमाश को उसी जगह छोड़ देते। मीडिया रिपोर्ट और दूसरे तरीकों से वह पुलिस की कार्रवाई पर नजर रखता था। ऐसा ही कारनामा गाजियाबाद में किया। सिहानी गेट थाना पुलिस ने उसी एक बदमाश को दबोच लिया। उससे सख्ती की गई तो पूरा गैंग हत्थे चढ़ गया। सभी तमिलनाडु के त्रिचापल्ली के रहने वाले हैं। मद्रासी गैंग के नाम से ये मशहूर थे। यूपी, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब में कई वारदात कबूल की हैं। गैंग का सबसे जूनियर बदमाश मिकैनिकल इंजीनियरिंग का सेकंड ईयर का छात्र है।

एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि गैंग के एक बदमाश को 10 अगस्त की एक वारदात में पकड़ा गया था। उससे पूछताछ में मद्रासी गैंग के बारे में पता चला। दीन दयानंद, अशोक उर्फ एस. सिल्वर, डिल्लीराजन, सत्यराज, मनोज, दिनेश कुमार, कीर्तिवासन को गिरफ्तार किया गया है। सभी त्रिचापल्ली (तमिलनाडु) के रहने वाले हैं। कर्नाटक के कोलार निवासी वेंकटेश को भी अरेस्ट किया गया है। गैंग लीडर दीन दयानंद 60 साल का है। 1999 से वह चोरी कर रहा है। एस. सिल्वर गैंग में सबसे छोटी उम्र का बदमाश है। वह मिकैनिकल इंजीनियरिंग का दूसरे साल का छात्र है।

बदमाशों के पास से 5 लैपटॉप, 2 टैबलेट, 5 मोबाइल, 5 तमंचे, 2 गुलेल, 20 हजार रुपये और अन्य सामान बरामद हुए हैं। पूछताछ में पता चला है कि पूरा गैंग एक साथ वारदात करने निकलता था। देश के कई हिस्सों में जाते और सिर्फ एक-दो दिन ही किसी जगह रुकते थे। रोज 15-20 लग्जरी कारों का शीशा तोड़कर चोरी का टारगेट रखते थे। शीशा तोड़ने का काम एस. सिल्वर के जिम्मे थे। वह बेरिंग की बॉल और गुलेल से पलक झपकते ही वह शीशा तोड़ देता था। दीन दयानंद, दिनेश कुमार, वेंकटेश और कीर्तिवासन गैंग के सबसे पुराने बदमाश हैं। दयानंद के अलावा बाकी सभी की उम्र 50 साल से ज्यादा हैं।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाते थे वारदात करने
सिहानी गेट थाना प्रभारी नरेश कुमार शर्मा ने बताया कि गैंग किसी एक स्थान पर नहीं रहता था। वह चलते हुए वारदात करता था। एनसीआर या किसी अन्य प्रदेश में वारदात करने के बाद अलग होकर सफर करते थे। कुछ सदस्य ट्रेन से और कुछ फ्लाइट से घर लौटते थे। जब वे किसी स्थान पर रहते तो वहां से पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ही प्रयोग करते थे। दिल्ली एनसीआर में मेट्रो से चल रहे थे। उनके पास से मेट्रो कार्ड भी बरामद किया गया है।

पुलिस का नहीं जाता ध्यान
पूछताछ में गैंग लीडर दीन दयानंद ने बताया कि वे पूरी प्लानिंग से चलते थे। किसी मामले में शिकायत दर्ज होने से पहले उस क्षेत्र को छोड़ दिया करते थे। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस लोकल गैंग पर फोकस करती है। जब तक बाहरी पर संदेह होता, तब तक बदमाश साउथ इंडिया लौट चुके होते थे। गैंग के बदमाश चोरी करने घर से निकलते तो अपना लुक कुछ बदल लेते थे। कहीं अगर सीसीटीवी कैमरे में कैद भी हुए तो लोग आसानी से पहचान न सके। हालांकि सिहानी गेट पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों के फुटेज से ही गैंग के एक बदमाश को दबोचा, फिर सारे पकड़े गए।

दिल्ली पुलिस को भी दी गई जानकारी

एसपी सिटी ने बताया कि इस मामले में दिल्ली और अन्य स्टेट की पुलिस को भी जानकारी दी गई है। दीन दयानंद की क्राइम हिस्ट्री दिल्ली से जुड़ी हुई है। ऐसे में दिल्ली पुलिस से उसके बारे में जानकारी मांगी गई है। हालांकि पूछताछ में उन्होंने हजारों वारदात के बारे में बताया। सभी के अन्य स्टेट के अपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी की जा रही है। जरूरत पड़ने पर रिमांड लेकर पूछताछ भी की जाएगी।(साभार एन बी टी)

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