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शादीशुदा लेडी कॉन्‍स्‍टेबल और फरेबी तहसीलदार की ‘प्रेमकथा’

Crime

तारीख थी 12 फरवरी, साल यही जो चल रहा है 2022। शाम का धुंधलका छा गया था। कहने को तो गुलाबी सर्दियां थीं पर ठंडी हवाओं ने खासा परेशान कर रखा था। सड़कों पर मोटे गर्म कपड़े पहने और कानों को मफलर से ढंके लखनऊ वाले जल्‍द से जल्‍द अपने आशियानों की तरफ कदम बढ़ाए जा रहे थे। धीरे-धीरे वीरानी छाती जा रही थी। ऐसे मौसम में डीजीपी ऑफिस यानी सिग्‍नेचर बिल्डिंग में काम करने वाली 28 साल की महिला कॉन्‍स्‍टेबल रुचि सिंह चौहान भी घर के लिए निकल गई। वह अर्जुनगंज में किराये पर रहती थी। रास्‍ते में उसकी भाभी का फोन आया। रुचि ने बताया कि वह कैब में है और पीजीआई के पास पहुंची है। थोड़ी देर में कमरे पर पहुंचकर बात करेगी। इसके बाद फोन काट दिया। करीब एक घंटे बाद भाभी ने फिर रुचि को फोन मिलाया पर वह स्विच ऑफ था। शाम का करीब आठ बज रहा था। भाभी ने सोचा कि रुचि खाना वगैरह बना रही होगी, डिस्‍टर्बेंस न हो इसलिए उसने फोन बंद कर दिया होगा। खैर, भाभी ने इंतजार किया और सोचा कि शायद अब रुचि खाना वगैरह खाकर फ्री हो गई होगी और एक बार फिर फोन मिला दिया। पर फोन तो इस बार भी बंद निकला। भाभी को लगा कि दिनभर ऑफिस का काम करके थक गई होगी। हो सकता है कि रुचि को नींद आ गई हो इसलिए उसने अब फोन नहीं मिलाया।

यूपी में DIG पद पर तैनात रहे रिटायर्ड आईपीएस राजेश पांडेय (IPS Rajesh Pandey) इस कोल्‍ड ब्‍लडेड मर्डर की कहानी बेहद बारीकी से बताते हैं। अपने यूट्यूब चैनल में उन्‍होंने इस हत्‍याकांड को लेकर कई अंदरूनी जानकारियां दी हैं। खैर, अब आगे की कहानी पर आते हैं। सुबह आठ बजे फिर भाभी ने रुचि को फोन लगाया पर फोन तो बंद ही था। उसने सोचा आज संडे (13 फरवरी) है। रुचि को ऑफिस जाना नहीं है। हो सकता है वह देर से सोकर उठे। भाभी को कुछ जरूरी बात करनी थी, इसलिए उसने सुबह साढ़े दस बजे के आसपास फिर रुचि को फोन लगा दिया। फोन फिर स्विच ऑफ निकला। अब भाभी के मन में तमाम बातें आने लगीं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि रुचि का फोन शाम से लेकर अगले दिन दोपहर तक स्विच ऑफ रहे।

कमरे में लगा था ताला, मकान मालिक भी बेखबर
बचैन भाभी ने रुचि के साथ काम करने वाली एक महिला कॉन्‍स्‍टेबल को फोन लगाया ताकि कुछ पता चल सके। उसने बताया कि यूपी इलेक्‍शन की वजह से डीजीपी ऑफिस आज भी खुला हुआ है पर रुचि अब तक नहीं आई है। आप परेशान मत हो। हो सकता है कि नेटवर्क दिक्‍कत से फोन बंद हो उसका। मैं पता लगाकर आपको बताती हूं। इसके बाद रुचि की सहयोगी ने उसे दिन में करीब दो बार फोन लगाया पर फोन बंद ही था। अब साथी कॉन्‍स्‍टेबल का दिमाग भी ठनका। वह बहुत दिनों से रुचि के साथ काम कर रही थी और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। शाम को काम धाम खत्‍म कर वह अर्जुनगंज स्थित रुचि के कमरे पर पहुंची पर वहां देखा ताला लगा हुआ है। उसने मकान मालिक से इस बारे में पूछा तो उन्‍होंने बताया कि रुचि कल सुबह दफ्तर के लिए निकली थी, तब से वापस नहीं आई है। जब रुचि की दो दिनों की छुट्टी होती थी तो वह अक्‍सर अपने घर बिजनौर चली जाया करती थी। हम लोगों को लगा कि शायद इस बार जल्‍दबाजी में बगैर बताए वह बिजनौर चली गई है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो गई गुमशुदगी की खबर
महिला कॉन्‍स्‍टेबल अब अपने रूम पर चली आई और रुचि की भाभी को फोन मिलाया। भाभी ने बताया कि रुचि बिजनौर नहीं आई है। रुचि जब भी लखनऊ से बिजनौर के लिए निकलती थी तो घरवालों को फोन कर बताती जरूर थी। साथी कॉन्‍स्‍टेबल ने रुचि की फोटो लेकर इसे विभिन्‍न वॉट्सएप ग्रुपों और सोशल मीडिया पर डाल दिया कि अगर किसी को उसके बारे में कुछ पता चले तो उसे बताए। राजधानी लखनऊ में पुलिस के सबसे बड़े ऑफिस में काम करने वाली एक जवान महिला कॉन्‍स्‍टेबल के यूं गायब हो जाने की खबर देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। इससे पुलिस के आला अफसर काफी नाराज हुए। उन्‍होंने रुचि की सहयोगी महिला कॉन्‍स्‍टेबल के इस काम को अनुशासनहीनता माना और उसे नोटिस भेजा। अफसरों का कहना था कि बगैर उच्‍च अधिकारियों को जानकारी दिए बगैर उसने रुचि के गायब होने की सूचना सोशल मीडिया पर वायरल क्‍यों की।

नाले में मिली रुचि की लाश, घरवालों में रोना-पीटना शुरू
इस बीच रुचि के घरवाले भी बिजनौर से लखनऊ आ गए और इधर-उधर भटकते रहे पर उनकी बेटी का कुछ पता नहीं चल रहा था। रुचि के लापता होने के पांच दिन बाद 17 फरवरी को डायल 112 पर एक फोन आता है। उधर मौजूद शख्‍स बताता है कि पीजीआई के सामने कल्‍ली माती मोहल्‍ले के नाले में एक नवयुवती की लाश पड़ी हुई है। पुलिस मौके पर पहुंचती है। लाश को नाले से निकलवाकर पोस्‍टमॉर्टम के लिए भिजवाया जाता है। करीब दो दिनों तक उस शव की पहचान के लिए कोई नहीं पहुंचा। 19 फरवरी को थाने-थाने भटक रहे रुचि के घरवालों को उनके इलाके बिजनौर का रहने वाला एक पुलिसवाला मिलता है। बताया कि उसने दो दिन पहले वायरलेस पर सूचना सुनी थी कि पीजीआई के पास नाले में एक युवती की लाश मिली है। रुचि के परिजन पोस्‍टमॉर्टम हाउस पहुंचे हैं। जैसे ही उन्‍होंने उस युवती का शव देखा, रोना-पीटना मच गया। यह उनकी बिटिया रुचि ही थी। यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। अब पुलिस एक्टिव हो गई। रुचि का मोबाइल फोन उसके शव के साथ ही मिला था। उसका कॉल रेकॉर्ड निकलवाया गया।

प्रतापगढ़ के तहसीलदार से होती थी सबसे ज्‍यादा बातें
पता चला कि पिछले तीन महीने में रुचि की बात एक फोन नंबर पर सबसे ज्‍यादा हुई। यह फोन नंबर प्रतापगढ़ जिले के लालगंज तहसील में तैनात तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्‍तव का था। फोन स्विच ऑफ होने से पहले भी इसी नंबर पर रुचि की बात हुई थी। पुलिस को लगा हो न हो इस मर्डर से तहसीलदार साहब का कनेक्‍शन जरूर है। रुचि की लाश मिलने की जानकारी मिलने के बाद तहसीलदार कहीं फरार न हो जाए, इसलिए तत्‍काल एक पुलिस टीम प्रतापगढ़ के लिए रवाना हो गई। रात 12 बजे लखनऊ से चली टीम सुबह 4 बजे प्रतापगढ़ पहुंच गई। प्रतापगढ़ शहर के कंपनी बाग इलाके में ट्रांजिट हॉस्‍टल है। तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्‍तव यहीं रहते थे। सुबह पांच बजे पुलिस टीम ने उनका दरवाजा खटखटाया तो वह सो रहे थे। दरवाजा उन्‍हीं ने खोला और तुरंत पुलिस ने उन्‍हें हिरासत में लेकर गाड़ी में बैठाया और सीधे लखनऊ ले आई। थाने में पूछताछ के दौरान तहसीलदार ने पहले तो बातों को घुमाना शुरू किया। फिर जब पुलिस ने अपना असली रंग दिखाया तो उन्‍होंने सारा सच उगल दिया।

रुचि ने सिपाही नीरज से की थी लव मैरिज, तहसीलदार ने कराया तलाक
पद्मेश श्रीवास्‍तव ने बताया कि रुचि सिंह चौहान बिजनौर के नजीबाबाद की रहने वाली थी। उसके पिता का नाम योगेंद्र पाल सिंह है। रुचि ने 2019 में नीरज गुप्‍ता नाम के एक कॉन्‍स्‍टेबल से लव मैरिज की थी। नीरज गुप्‍ता इस समय प्रयागराज के किसी थाने में तैनात है। रुचि से पद्मेश की मुलाकात फेसबुक पर हुई थी। धीरे धीरे उनके बीच बातों का सिलसिला बढ़ता गया। ये सब चीजें छुपती तो हैं नहीं। नीरज को शक हो गया। पद्मेश से संबंधों को लेकर नीरज और रुचि में आएदिन झगड़ा होने लगा। एक दिन रुचि ने पद्मेश को बताया कि नीरज को उनके रिश्‍ते पर शक हो गया है। इस पर तहसीलदार ने उसे ज्ञान दिया। कहा कि रुचि अपने पति नीरज से कह दे कि वह तलाक के कागज तैयार करवा ले वरना वह (रुचि) उस पर दहेज उत्‍पीड़न और घरेलू हिंसा का केस कर देगी। इससे नीरज की नौकरी चली जाएगी। पद्मेश ने जैसा कहा था रुचि ने वैसा ही किया। नीरज को भी बात समझ में आ गई और उसने समझदारी दिखाते हुए रुचि को तलाक दे दिया।

ब पहली बार पता चला पद्मेश तो शादीशुदा था
नीरज से जब रुचि का पीछा छूटा तो तहसीलदार के साथ उसकी नजदीकियां और बढ़ गई। अब रुचि की जब भी छुट्टियां होती तो वह प्रतापगढ़ चली जाती और पद्मेश के साथ उसके ट्रांजिट हॉस्‍टल के कमरे में रुकती थी। धीरे धीरे यह बात हॉस्‍टल में रहने वाले अन्‍य अफसरों को भी पता चली। उन्‍हीं में से किसी ने पद्मेश की पत्‍नी प्रगति को इस बात की जानकारी दे दी। फिर क्‍या था। प्रगति ने अपने पति को फोन कर खूब धमकाया। उसने पद्मेश से रुचि का फोन नंबर लिया और उसे भी खूब खरी खोटी सुनाई। दोनों के बीच खूब गाली गलौज हुई। पहली बार रुचि को पता चला था कि वह जिसके साथ घर बसाने के सपने देख रही है, वह पहले से शादीशुदा है।

रुचि ने तहसीलदार पर बनाया शादी का दबाव
अब प्रगति प्रतापगढ़ आ गई और पद्मेश के साथ ट्रांजिट हॉस्‍टल में रहने लगी। इस बीच जब रुचि का फोन आए तो प्रगति पद्मेश का फोन छीन लेती थी। बात न हो पाने से रुचि परेशान रहने लगी। उसे महसूस हो गया कि पद्मेश ने उसके साथ धोखा किया है। उसने पद्मेश के कहने पर अपने पति नीरज से तलाक लिया था। रुचि ने अब पद्मेश पर दबाव बनाना शुरू किया कि वह भी अपनी पत्‍नी से तलाक ले और मुझसे शादी करे। पद्मेश ने आनकानी की तो रुचि ने धमकी दी। उसने कहा कि दोनों के बीच रिलेशनशिप को तीन साल हो चुके हैं। अब वह शादी के लिए ज्‍यादा इंतजार नहीं कर सकती। अगर वह शादी नहीं करेगा तो वह प्रतापगढ़ में उसके आवास पर आ जाएगी और वहीं सबको उसकी करतूतों के बारे में बताएगी। अब पद्मेश ने सोच लिया कि उसे कैसे इस रिश्‍ते से बाहर निकलना है। उसने रुचि को अपने रास्‍ते से हटाने का मन बना लिया। पद्मेश ने रुचि से कहा कि वह 12 फरवरी को लखनऊ आ रहा है। दोनों बैठकर बातचीत करेंगे और शादी की तारीख तय कर लेंगे। उसने यह भी झूठ बोला कि वह अपनी पत्‍नी को तलाक दे देगा और इसके लिए कागज तैयार करवा लिया है।

बीवी ने कहा- लखनऊ से बगैर काम खत्‍म किए मत आना

पद्मेश ने अपने दोस्‍त नामवर सिंह को इस साजिश में शामिल कर दिया। उसने नामवर से गाड़ी लेकर आने को कहा। पद्मेश ने पत्‍नी प्रगति को बताया कि किसी काम से लखनऊ जा रहा है। प्रगति ने तत्‍काल सवाल दागा कि इतनी रात को लखनऊ में कौन सी मीटिंग होनी है। मुझे पता है कि तुम वहां क्‍यों जा रहे हो। तब पद्मेश ने उसे बताया कि मैं लखनऊ तुम्‍हारे ही काम से जा रहा हूं। जिस बात को लेकर हमारे बीच चिकचिक होती है उसे खत्‍म करने जा रहा हूं। तब प्रगति ने कहा कि ठीक है जाओ पर बगैर काम खत्‍म किए मत वापस आना। मैं भी रोज रोज के झगड़े से तंग आ गई हूं।

रात 9 बजे पीजीआई पर मुलाकात और चाय का वो प्‍याला
पद्मेश अपने दोस्‍त नामवर के साथ प्रतापगढ़ से शाम 6 बजे निकला और रात 9 बजे तक लखनऊ पहुंच गया। यहां पीजीआई के पास एक सूनसान इलाके में उसने रुचि को फोन कर मिलने के लिए बुलाया। रुचि कैब लेकर वहां पहुंची। कैब उसे छोड़कर वापस चली गई। अब रुचि पद्मेश की गाड़ी में जाकर बैठ गई। रुचि के गाड़ी में आते ही नामवर नीचे उतर गया। पद्मेश रुचि से चिकनी चुपड़ी बातें करने लगा। उसने तलाक मिलने में समय लगने का हवाला देते हुए मई-जून तक शादी करने की बात कही। इस बीच नामवर दो कप चाय लेकर आया। एक कप रुचि को दी तो दूसरी पद्मेश को। चाय पीने के आधे घंटे के भीतर रुचि बेहोश होकर गाड़ी की सीट पर लुढ़क गई। दरअसल नामवर ने उसकी चाय में ढेर सारी नींद की गोलियां मिला दी थी।

और यूं खत्‍म हो गया एक अवैध रिश्‍ता
रुचि के बेहोश होते ही नामवर सिंह ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और गाड़ी पीजीआई के सामने वाले मोहल्‍ले कल्‍ली माते की तरफ मोड़ दी। रास्‍ते में पद्मेश और नामवर ने गला घोंटकर रुचि की हत्‍या कर दी। फिर नाले में बॉडी फेंककर वापस प्रतापगढ़ रवाना हो गए। रात 2 बजे पद्मेश ट्रांजिट हॉस्‍टल पहुंचा और प्रगति से बताया कि उसने रुचि का काम तमाम कर दिया है। इसके बाद नामवर अपनी गाड़ी लेकर चला गया। इस तरह अवैध रिश्‍ते का खौफनाक अंत हो जाता है। पुलिस ने पद्मेश श्रीवास्‍तव, उसकी पत्‍नी प्रगति और दोस्‍त नामवर सिंह को गिरफ्तार कर लिया। तीनों जेल की सलाखों के पीछे अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं।(साभार एन बी टी)

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