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हाई कोर्ट ने 45 साल पुराने केस में 9 जजों को भेजा अवमानना का नोटिस

From Court Room

अहमदाबाद: गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार को आणंद में एक निचली अदालत के 9 न्यायाधीशों को आड़े हाथों लिया। हाई कोर्ट ने 1977 से लंबित एक संपत्ति विवाद को समाप्त करने का हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता की उम्र अब 86 साल की हो गई है। आदेश का पालन नहीं करने पर हाई कोर्ट ने सभी 9 जजों के खिलाफ अवमानना का कार्रवाई का आदेश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की पीठ ने यह अवमानना नोटिस जारी किया है। अवमानना नोटिस में कहा गया है कि हाई कोर्ट के निर्धारित समय सीमा के भीतर मामले को निपटाने के आदेश दिया था। जजों ने स्पष्ट रूप से इस आदेश का उल्लंघन किया और अनदेखी की।

हाई कोर्ट ने समय सीमा में मामला निपटाने को कहा था

निचली अदालत ने 1985 में संपत्ति विवाद में अपना फैसला सुनाया था, लेकिन इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। एक और लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, मामले को निपटाने के लिए नवंबर 2004 में एक समय सीमा निर्धारित की गई। यह समय सीमा 31 दिसंबर 2005 थी। केस वापस आणंद अदालत में भेज दिया गया।

सभी 9 जजों से मांगा गया स्पष्टीकरण

पिछले शुक्रवार को हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अध्यक्षता करने वाले सभी न्यायाधीशों से स्पष्टीकरण मांगा था। पीठ ने देरी के लिए न्यायाधीशों के स्पष्टीकरण को चौंकाने वाला करार दिया। पीठ ने यहां तक कहा कि इस केस को सबसे लापरवाह तरीके से देखा गया।

2 की हो चुकी है मौत, 6 रिटायर हुए

अलग-अलग समय पर मामले की सुनवाई करने वाले 18 न्यायाधीशों में से 2 की मृत्यु हो चुकी है और 6 सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पीठ ने उस विशेष अदालत की अध्यक्षता करने वाले एक न्यायाधीश को 3 दिन के लिए माफ कर दिया। 99 से 1,350 दिनों तक मामला लंबित रहने के कारण 9 अन्य अब जांच के दायरे में हैं।

हाई कोर्ट की बेंच ने जज पी पी मोकाशी और सुनील चौधरी को भी फटकार लगाई। दोनों जजों के दिए गए स्पष्टीकरण से पीठ संतुष्ट नहीं दिखा। पीपी मोकाशी अभी भरूच में झगड़िया कोर्ट में तैनात हैं।(साभार एन बी टी)

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