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विपक्ष की बैठक का मजाक उड़ा रही बीजेपी! नदारद रहे क्षेत्रीय दल…

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नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी की ओर से संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए राजधानी दिल्ली में बुधवार को बुलाई गई बैठक में बीजू जनता दल (बीजद), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे प्रमुख क्षेत्रीय दलों की अनुपस्थिति से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहत की सांस ली है। भाजपा नेताओं का मानना है कि इन दलों की अनुपस्थिति ने विपक्षी खेमे की खामियों और दूसरों पर हावी होने की उनकी आदत को रेखांकित किया है।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजद ने कई मुद्दों पर विपक्षी खेमे से दूरी बनाते हुए भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ दिया है। विपक्षी दलों की बैठक से आप और टीआरएस की गैरमौजूदगी अहम है क्योंकि दोनों ही दल भाजपा के प्रखर आलोचक रहे हैं और पूर्व में कई अवसरों पर उन्होंने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की वकालत की है।

जीत से कितना दूर है NDA?
राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में सत्तारूढ़ राजग (NDA) के पास लगभग 48 प्रतिशत वोट हैं। भाजपा को बीजद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) और युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे दलों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। ऐसा होता है तो उसके उम्मीदवार के राष्ट्रपति चुनाव में जीत सुनिश्चित हो सकती है। वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश में सत्ता में है और संसद में उसके सदस्यों की संख्या भी अच्छी खासी है।

विपक्षी दलों की बैठक का मजाक उड़ा रही बीजेपी
बीजद की तरह वाईएसआर कांग्रेस ने भी विपक्षी खेमे की बैठक से दूरी बनाई है और संसद और उसके बाहर कई मुद्दों पर उसने केंद्र सरकार का समर्थन किया है। विपक्षी दलों की बैठक का मजाक उड़ाते हुए भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कई विपक्षी नेता एक दूसरे पर हावी होने के प्रयासों के तहत कई प्रकार की गतिविधियां करते रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह बैठक विपक्ष के अंदर कौन अपना कद बड़ा स्थापित करके दिखा दे, किसी भी मौके का उपयोग करके… यह उसकी अभिव्यक्ति ज्यादा नजर आती है।’

बैठक में इन दलों ने लिया हिस्सा
विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा-एमएल, नेशनल कांफ्रेंस(नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जद(सेक्युलर), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), आईयूएएमएल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शरीक हुए।

शरद पवार के बाद कौन होगा विपक्ष का उम्मीदवार
इस बैठक में बुधवार को कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार को संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने एक बार फिर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। सूत्रों के मुताबिक पवार की ओर से प्रस्ताव को ठुकराए जाने के बाद विपक्ष के संभावित उम्मीदवार के रूप में वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नाम भी सामने आएं।

विपक्ष को एकजुट कर सकते हैं गांधी?
गांधी 2017 के उपराष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्ष की ओर से उम्मीदवार थे लेकिन उन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडू के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद वह बीजद और जनता दल (यूनाईटेड) का समर्थन हासिल करने में सफल रहे थे। हालांकि इन दोनों दलों ने राष्ट्रपति चुनाव में राजग के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था। नीतीश कुमार की जदयू ने जब पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में गांधी को समर्थन करने की घोषणा की थी तब वह विपक्षी खेमे में थे। बाद में राजग में लौटने के बाद भी वह गांधी को समर्थन के फैसले पर अडिग रहे।(साभार एन बी टी)

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