मीडिया मुग़ल

लाल टोपी में इस्तीफा देकर सपा अध्यक्ष ने लखनऊ भेज दिया संदेश

Politics

नई दिल्ली: आ रहे हैं अखिलेश…. 10 मार्च को नतीजे आए तो यूपी में सरकार बनाने लायक सीटें तो नहीं मिलीं, फिर भी अखिलेश आ रहे हैं। चकरा गए न आप! पर ये खबर बिल्कुल सच है। अखिलेश यादव (48) दिल्ली छोड़कर लखनऊ आ रहे हैं। आज उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे से पहले और बाद के उनके हावभाव देखिए, तो लगता है कि हार का गम भूल 12 दिन बाद अखिलेश फिर पूरी ऊर्जा समेटकर लौटे हैं। संसद के गलियारे में वह कैमरे के सामने छोटे कदमों से बढ़ते हैं, मुस्कुराते हैं और हाथ हिलाकर अभिवादन करते हैं। ऐसे जैसे वह चुनाव की रैलियों में दिखा करते थे। यह इशारा है कि अखिलेश पिछली बातों को भूलकर नई शुरुआत करने बढ़े हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश आजमगढ़ से सांसद बने थे। उन्हें सांसदी या विधायकी में से किसी एक को चुनना था और उन्होंने करहल का प्रतिनिधित्व बरकरार रखने का फैसला कर लखनऊ संदेश भेज दिया है।

अखिलेश उठते हैं और लाल टोपी लगा देते हैं इस्तीफा
एक मिनट से भी कम के कई वीडियो आए हैं। एक वीडियो में अखिलेश स्पीकर ओम बिरला के पास बैठे दिखते हैं। कुछ बातें होती हैं। मुस्कुराहट झलकती है। तभी अखिलेश मेज पर पहले से लाए अपने इस्तीफा पत्र को उठाते हैं और स्पीकर की तरफ बढ़ते हैं। पर कुछ कदम चलकर वह ठहरते हैं। सिर पर टोपी नहीं थी, वही लाल टोपी जिसकी बात चुनावी रैलियों में कर पीएम मोदी, योगी और पूरी भाजपा खिंचाई किया करती थी। अखिलेश शान से सिर पर वही लाल टोपी पहनते हैं और फिर इस्तीफा देते हुए अपनी फोटो खिंचवाते हैं। तस्वीर में लाल टोपी दिखाना अखिलेश का अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं को एक तरह से संदेश है कि वह लखनऊ आ रहे हैं और योगी सरकार के सामने वह मजबूत विपक्ष बनेंगे।

चुनाव में भी अखिलेश ने लाल टोपी और लाल पोटली का काफी जिक्र किया था। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद अपने इस सांकेतिक ताकत को वह कमजोर नहीं दिखाना चाहते। वैसे, भी इस बार भाजपा का प्रदर्शन 2017 जितना बड़ा नहीं है। भाजपा को 255 सीटें मिली हैं और समाजवादी पार्टी 111 सीटें जीतने में कामयाब रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 312 सीटें मिली थीं, जबकि सपा को मात्र 47 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इस लिहाज से भाजपा को सपा ने इस बार जोरदार टक्कर दी है।

अखिलेश के विधायक बनने का 2024 से कनेक्शन
अखिलेश के लोकसभा छोड़कर विधायक बनने को 2024 लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। चुनाव में दो साल का वक्त है, सपा यूपी आधारित पार्टी है, ऐसे में लखनऊ में रहकर अखिलेश अपनी पार्टी के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं। यही वजह है कि हार के बाद भी अखिलेश कार्यकर्ताओं का हौसला बनाए रखना चाहते हैं। वैसे भी, करहल की उनकी जीत साधारण नहीं थी। मनोवैज्ञानिक रूप से सपा पर प्रेशर डालने के लिए भाजपा ने अखिलेश के सामने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को उतारा था। अखिलेश ने 67 हजार से ज्यादा मतों से बघेल को पराजित किया। भाजपा भले ही जीत गई लेकिन सपा भी विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। विधायक बनने को लेकर अखिलेश को भी लगा होगा कि आगे बड़ी संभावनाएं हैं।

दरअसल, दिल्ली रहने से अखिलेश अपने विधायकों से दूर रहते और उन्हें लगा होगा कि विधानसभा में सपा पुरजोर तरीके से विपक्ष की भूमिका शायद न निभा पाए। ऐसे में हार के बावजूद वह जनता में भाजपा से मोर्चा लेने वाली सबसे बड़ी विपक्षी ताकत का मैसेज भेजना चाहते हैं।

पहले आजमगढ़ गए फिर दिल्ली
एक दिन पहले अखिलेश आजमगढ़ में थे और उन्होंने जिले की सभी विधानसभा सीटें जीतने की बात कहते हुए जनता का शुक्रिया भी अदा किया था। यहां उन्होंने जो कहा, उससे लगने लगा था कि अखिलेश अपनी हार पर हाथ पे हाथ धरकर बैठने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम इस बार विधानसभा चुनाव हारे नहीं हैं। आगे हमारा वोट और सीटें कैसे बढ़ेंगी और भाजपा घटेगी, इसे सपा बेहतर तरीके से जानती है। वह अब भी अपनी हार के लिए प्रशासन और ईवीएम पर दोष मढ़ रहे हैं। एक दिन बाद उन्होंने लोकसभा सदस्यता छोड़कर लखनऊ जाने का फैसला कर लिया।(साभार एन बी टी)

Related posts

गुजरात-हिमाचल में कौन जीत रहा- BJP, कांग्रेस या आप?

sayyed ameen

ऑक्सिजन की कमी से कितनी मौतें? सरकार ने LG के पाले में डाली गेंद

sayyed ameen

‘सवर्ण जातियां भी उठा रहीं OBC कोटे का फायदा, जिन्हें लिस्‍ट में होना ही नहीं चाहिए’

sayyed ameen