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मार्च तक बंद हो जाएंगे अधिकतर मोबाइल वॉलिट्स!

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देश में अधिकतर मोबाइल वॉलिट्स मार्च तक बंद हो सकते हैं। यह डर पेमेंट्स इंडस्ट्री के एग्जिक्यूटिव्स ने जताया है। उन्हें डर है कि सभी कस्टमर्स का वेरिफिकेशन फरवरी 2019 तक पूरा नहीं हो पाएगा। आरबीआई ने वेरिफिकेशन के लिए यही डेडलाइन तय की है। प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स यानी मोबाइल वॉलिट्स को आरबीआई ने अक्टूबर 2017 में निर्देश दिया था कि वे नो योर कस्टमर गाइडलाइंस के तहत वांछित पूरी जानकारी जुटाएं।
इंडस्ट्री के एग्जिक्यूटिव्स ने ईटी को बताया कि कंपनियां अब तक अपने टोटल यूजर बेस के मामूली हिस्से की जानकारी ही जुटा सकी हैं और अभी उन्होंने अधिकतर यूजर्स का बायोमीट्रिक या फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया है। नई दिल्ली की एक पेमेंट्स कंपनी के सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘देश में 95 प्रतिशत से ज्यादा मोबाइल वॉलिट्स मार्च तक बंद हो सकते हैं।’
पेमेंट्स इंडस्ट्री आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक काम करने में पसीना पसीना हो रही है। आधार पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद आरबीआई ने गाइडलाइंस जारी की थीं। कोर्ट ने जजमेंट में कहा था कि प्राइवेट कंपनियां कस्टमर्स के पेपरलेस वेरिफिकेशन के लिए आधार डेटाबेस का उपयोग नहीं कर सकती हैं। एक सीनियर पेमेंट एग्जिक्यूटिव ने ईटी से कहा, ‘ईकेवाईसी नहीं हो रहा है। आरबीआई ने केवाईसी के दूसरे तरीकों के बारे में साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा है। डेडलाइन कुछ हफ्ते दूर है। काम की जैसी रफ्तार है, उसे देखते हुए तो हम डेडलाइन पर इसे खत्म नहीं कर सकते हैं।’
केवाईसी के लिए विडियो के जरिए वेरिफिकेशन या एक्सएमएल आधारित केवाईसी जैसे दूसरे तरीकों पर चर्चा होती रही है, लेकिन किसी को भी आरबीआई ने अप्रूव नहीं किया है। पेमेंट इंडस्ट्री के एक अन्य एग्जिक्यूटिव ने कहा, ‘हम 8 जनवरी का इंतजार कर रहे हैं, जो संसद के विंटर सेशन का आखिरी दिन है। देखते हैं कि आधार बिल का क्या होता है। हम आरबीआई से मिलकर अपनी बात रखेंगे।’
मोबाइल वॉलिट्स से करीब चार साल पहले डिजिटल पेमेंट में तेजी आई थी, लेकिन अब इस सेगमेंट में कुछ ही कंपनियां बची हैं। मोबीक्विक, फोनपे और एमेजॉन पे जैसी अधिकतर पीपीआई लाइसेंस धारक या तो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस बिजनेस पर जोर लगा रही हैं या वे फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी से जुड़े दूसरे कामकाज करने लगी हैं।
इंडस्ट्री के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कहा, ‘काफी वॉलिट्स का उपयोग रेमिटेंस के लिए किया जा रहा था। रेगुलेटरी प्रतिबंधों के चलते वे वैसे भी बिजनेस करेस्पॉन्डेंट चैनल में चले गए हैं। मौजूदा हालात का सीधा असर केवल स्टैंडअलोन वॉलिट्स पर पड़ेगा।’ अर्न्स्ट एंड यंग के लिए इंडिया, मिडल ईस्ट और अफ्रीा के फिनटेक लीडर सचिन सेठ ने ईटी से कहा कि जिन मोबाइल वॉलिट्स ने अपने उपयोग की खास जगह बना ली है, वे ही टिक पाएंगे।

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