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प्लास्टिक की बोतल से कैंसर होने के नहीं मिले पुख्ता सबूत: WHO

Fitness and Health

लोगों के बीच यह बात तेजी से फैल रही है कि प्लास्टिक की बॉटल में पानी पीने से कैंसर का खतरा होता है। इस वजह से लोग अब स्टील या कॉपर बॉटल्स का इस्तेमाल करने लगे हैं लेकिन WHO की मानें तो इस बात के पुख्ता सबूत अब तक नहीं मिले हैं।
नई दिल्ली
माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी पीने के पानी में तेजी से बढ़ती जा रही है, लेकिन प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर होता है, इसके अभी तक पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि इसके साथ ही इस विषय पर WHO की ओर से जारी नई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि कम प्रदूषण हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्लास्टिक पर्यावरण में फैलकर किस तरह शरीर को प्रभावित करता है, इसे समझने के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है।
5 मिमी से कम आकार वाले होते हैं माइक्रोप्लास्टिकमाइक्रोप्लास्टिक की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है, लेकिन WHO के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के बहुत छोटे अंश या रेशे होते हैं, जिनका आकार सामान्यत: 5 मिमी से कम होता है। हालांकि पीने के पानी में यह कण 1 मिमी जितने छोटे भी हो सकते हैं। वास्तव में 1 मिमी से छोटे कणों को नैनोप्लास्टिक कहा जाता है।

हर जगह हो चुकी है प्लास्टिक की घुसपैठ
हमारी लाइफ में हर जगह प्लास्टिक की घुसपैठ है। सिर्फ किचन की बात करें तो नमक, घी, तेल, आटा, चीनी, ब्रेड, बटर, जैम, सॉस… सब कुछ प्लास्टिक में पैक होता है। तमाम चीजों को लोग किचन में रखते भी प्लास्टिक के कंटेनरों में ही हैं। सस्ती, हल्की, लाने-ले जाने में आसान होने की वजह से लोग प्लास्टिक कंटेनर्स को पसंद करते हैं। ऐसे में खाने-पीने से जुड़ी चीजों में यूज होने वाले प्लास्टिक से होनेवाले नुकसान के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
प्लास्टिक कितना जहरीला
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकॉलजी रिसर्च, लखनऊ के एक साइंटिस्ट के अनुसार पानी में न घुल पाने और बायोकेमिकली ऐक्टिव न होने की वजह से प्योर प्लास्टिक बेहद कम जहरीला होता है। लेकिन जब इसमें दूसरी तरह के प्लास्टिक और कलर आदि मिला दिए जाते हैं तो यह नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। ये केमिकल खिलौने या दूसरे प्रॉड्क्ट्स में से गर्मी के कारण पिघलकर बाहर आ सकते हैं। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने बच्चों के खिलौनों और चाइल्ड केयर प्रॉडक्ट्स में इस तरह की प्लास्टिक के इस्तेमाल को सीमित कर दिया है। यूरोप ने साल 2005 में ही इस पर बैन लगा दिया था तो जापान समेत 9 दूसरे देशों ने भी इस पर पाबंदी लगा दी है।
प्लास्टिक फूड कंटेनर्स के नुकसान
प्लास्टिक की थालियां और स्टोरेज कंटेनर्स खाने-पीने की चीजों में केमिकल छोड़ते हैं। इसका खतरा टाइप 3 और 7 या किसी हार्ड प्लास्टिक से बने कंटेनर्स में और भी ज्यादा होता है। इन प्लास्टिक्स में बायस्फेनॉल ए (BPA) नामक केमिकल होता है। ये केमिकल हमारे शरीर के हॉर्मोंस को प्रभावित करते हैं, इनसे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है और पुरुषों में स्पर्म काउंट घटने का भी रिस्क होता है। प्रेग्नेंट महिलाओं और बच्चों के लिए ये ज्यादा नुकसानदेह है।- अमेरिका के फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन ने इस बात को माना है कि सभी तरह की प्लास्टिक एक वक्त के बाद केमिकल छोड़ने लगते हैं, खासकर जिन्हें गर्म किया जाता है। आप ऐसे समझ सकते हैं कि बार-बार गर्म करने से इन कंटेनर्स के प्लास्टिक के केमिकल्स टूटने शुरू हो जाते हैं और फिर ये खाने-पीने की चीजों में मिक्स हो जाते हैं। नतीजन गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
पानी की बोतल को गर्म होने से बचाएं
आमतौर पर हम प्लास्टिक बोतल को तेज धूप में खड़ी कार में रखकर छोड़ देते हैं। गर्म होकर इन प्लास्टिक बोतलों से केमिकल निकलकर पानी के साथ रिऐक्ट कर सकता है। ऐसे पानी या सॉफ्ट ड्रिंक्स को न पिएं। यहां तक कि घरों की छतों पर मौजूद पानी की टंकियों में तेज धूप में होने वाली रिएक्शन को लेकर भी खतरा जताया जा रहा है। इसे लेकर स्टडी की जा रही है लेकिन अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। सावधानी के तौर पर टंकी के ऊपर शेड बनवा सकते हैं।
पॉलिथीन में चाय को कहें ना
अक्सर देखा गया है कि छोटी पॉलिथीन थैलियों में लोग गर्म चाय ले जाते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह तरीका बेहद नुकसानदेह है। तुरंत तो कुछ पता नहीं चलता, लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल करने से यह कैंसर का कारण बन सकता है। दरअसल, बेहद गर्म चीजों के साथ प्लास्टिक का रिऐक्शन होता है तो कैंसर कारक तत्व पैदा होते हैं। इसी तरह खाने की दूसरी चीजों को भी गर्म-गर्म प्लास्टिक कंटेनर में न रखें।
प्लास्टिक शीशी में दवाएं कितनी सेफ?
प्लास्टिक शीशी में होम्योपैथिक दवाएं सेफ होती हैं, बशर्ते शीशी लूज प्लास्टिक की न बनी हों। वैसे, कांच की शीशी में होम्योपैथिक मेडिसिंस रखी हों तो बेहतर रहेगा, क्योंकि इसमें किसी भी तरह का शक-सुबहा नहीं रह जाता। यह नियम एलोपैथिक दवाओं खासकर सिरप आदि पर भी लागू होता है। प्लास्टिक से बने इंजेक्शन, आईवी आदि के नुकसान के बारे में अभी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
बच्चों को प्लास्टिक से बचाएं
बच्चे को फीड करने के लिए प्लास्टिक बॉटल का इस्तेमाल न करें। इसकी जगह स्टील या कांच की बॉटल यूज करें। अगर प्लास्टिक की बॉटल यूज करना ही है तो अच्छी क्वॉलिटी की लें। बॉटल के ऊपर BFA फ्री या BFR फ्री या लेड फ्री आदि लिखा हो तो बेहतर है।- प्लास्टिक बॉटल को माइक्रोवेव या गैस पर पानी में बिल्कुल न उबालें। बॉटल को गर्म पानी से साफ करना काफी है। इसके अलावा क्लोरीन सलूशन से साफ कर सकते हैं। इससे सारे किटाणु निकल जाते हैं।- सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (CSE) की एक स्टडी में कहा गया है कि बच्चों के दांत निकलते वक्त उसे जो खिलौने दिए जाते हैं उनमें बेहद खतरनाक केमिकल्स पाए गए हैं। बच्चों को प्लास्टिक के टीथर देने के बजाय खीरे या गाजर के चिल्ड बड़े टुकड़े या मुलहठी की बड़ी डंडी (छोटी डंडी गले में फंस सकती है) दे सकते हैं।
माइक्रोवेव सेफ का क्या मतलब!
प्लास्टिक कंटेनर को माइक्रोवेव में गर्म नहीं करना चाहिए यहां तक कि थोड़ी देर के लिए भी नहीं। कभी मजबूरी में करना ही हो तो वही कंटेनर यूज करें, जिन पर माइक्रोवेव सेफ का सिंबल हो। साथ ही, इनमें ऐसी चीजें बेहद थोड़ी मात्रा में न गर्म करें, जिनमें फैट या शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा हो। माइक्रोवेव में कांच, पाइरेक्स या चीनी मिट्टी के कंटेनर यूज करें।
इतने बड़े माइक्रोप्लास्टिक शरीर में नहीं जाते
रिपोर्ट के अनुसार 150 माइक्रोमीटर (एक बाल की मोटाई) से बड़े माइक्रोप्लास्टिक्स के मानव शरीर में जाने की संभावना न के बराबर है, वहीं नैनो आकार के प्लास्टिक और बहुत छोटे माइक्रोप्लास्टिक कणों के शरीर में जाने की अधिक संभावना है, लेकिन उनके भी शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली मात्रा में जमा होने की संभावना नहीं है।
200 करोड़ लोग दूषित पानी पीने को मजबूर
शोधकर्ताओं ने मानना है कि पीने के पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स की नियमित निगरानी की आवश्यकता नहीं है। इसकी जगह हमें बैक्टीरिया और वायरस को दूर करने पर ज्यादा जोर देना चाहिए क्योंकि इनसे कहीं ज्यादा खतरा है। WHO की मानें तो दुनिया भर में लगभग 200 करोड़ लोग दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं। लिहाजा पानी की सफाई पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

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