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पड़ोसी ने बना लिया नकली चांद, अब बिना बिजली के जगमग होंगे शहर

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नई दिल्ली: रोज रात में आप आसमान में चमकते चांद को देखते होंगे। बचपन में आपने चंदा मामा की कहानियां भी सुनी होंगी। आपका मन भी चांद पर जाने का करता होगा। लेकिन अब आपका ये सपना सच हो सकता है। आप धरती पर रहते हुए ही चांद की सैर कर सकते हैं। दरअसल एक देश ने बिलकुल असली चांद के जैसा नकली चांद बना दिया है। ये असली चांद की तरह रोशनी भी देता है। अब इस चांद से बिजली का बिल बचेगा और इस देश को 17.3 करोड़ डॉलर की हर साल बचत होगी। तो कौन सा है ये देश और कैसे तैयार किया है नकली चांद चलिए आपको बताते हैं।

जीरो ग्रैविटी वाला है ये चांद
इस नकली चांद (Artificial Moon) को तैयार किया है चीन ने। चीन (China) साइंस और टोक्नोलॉजी (Science and Technology) के सेक्टर में लगातार बड़े कारनामे कर रहा है। चीन का कहना है कि 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में नकली चांद से होने वाली रोशनी से बिजली खर्च में काफी कमी आएगी। यह चांद जीरो ग्रैविटी (Zero Gravity Moon) वाला है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के वैज्ञानिकों (Scientist) ने इस नकली चांद पर चुंबकीय शक्ति की परख की। इसे बनाने के पीछे कई उद्देश्य हैं।

चांद के जैसी सतह भी तैयार की जा रही
चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ माइनिंग एंड टेक्नोलॉजी के जियोटेक्नीकल इंजीनियर बताते हैं कि साल 2022 के अंत तक वह एक बेहद शक्तिशाली चुंबकीय शक्ति वाला वैक्यूम चैंबर बनाएंगे। इस वैक्यूम चैंबर का व्यास 2 फीट होगा। इस वैक्यूम चैंबर को पत्थरों और धूल से भर दिया जायेगा, जैसे चांद की सतह पर होती है। पहली बार चांद की ऐसी सतह धरती पर बनेगी।

इस वजह से बनाया नकली चांद
चीन इसका छोटा सफल प्रयोग पहले ही कर चुका है। अब लंबा प्रयोग किया जाएगा। इसके बाद इस प्रयोग को चांद पर भेजा जायेगा। चांद पर इंसानी बस्ती बनाने के नये तरीके खोजने के लिए चीन ने यह प्रयोग शुरू किया है। उसका कहना है कि चांद पर धरती से 6 गुणा कम गुरुत्वाकर्ण (Gravitation) है। इसलिए लोग सतह पर चल नहीं पाते। ऐसे में बस्ती बसाना संभव नहीं है। बता दें कि वर्ष 2029 तक चीन चांद के दक्षिण ध्रुव पर एक इंसानी रिसर्च सेंटर बनाने की योजना पर काम कर रहा है।

कभी नहीं होगा ब्लैकआउट
चीन के वैज्ञानिकों ने इसकी एक खासियत यह भी बतायी है कि भीषण प्राकृतिक आपदा के वक्त भी उस क्षेत्र में कभी ब्लैकआउट नहीं होगा। बाढ़, भूकंप जैसी स्थिति में भी यह नकली चांद रोशनी देता रहेगा। चीनी वैज्ञानिकों ने कहा था कि इसे एक निवेश के तौर पर देखा जा रहा है। अगर 15 साल तक एकमुश्त निवेश पर कोई चीज मुफ्त में बिजली देने लगे, तो यह बहुत सस्ता है।

रूस की कोशिश हो गई थी फेल
नकली चांद बनाने की कोशिश करने वाला चीन दुनिया का पहला देश है। इससे पहले भी रातों को रोशन करने के लिए ऐसे नकली चांद बनाने की योजनाएं बन चुकी हैं। साल 1993 में रूस के वैज्ञानिकों ने 20 मीटर चौड़ा एक रिफ्लेक्टर मिरर स्पेस स्टेशन की तरफ भेजा था। नाम्या 2 नाम के एक सैटेलाइट को धरती के 5 किलोमीटर के व्यास पर रोशनी फैलाने के लिए भेजा गया था, जो जलकर राख हो गया था। 90 के दशक में ही फिर से नाम्या का बड़ा मॉडल बनाने की कोशिश हुई, लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिली थी।(साभार एन बी टी)

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