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गिनी में सैन्य तख्तापलट: राष्ट्रपति भवन के पास गोलीबारी के बाद सरकार भंग

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कॉनाक्री
अफ्रीकी देश गिनी में रविवार को सेना के विद्रोही गुट ने सरकार को अपदस्थ कर तख्तापलट की कोशिश की है। गिनी की सेना के एक विद्रोही कर्नल ने रविवार को सरकारी टेलीविजन पर घोषणा करते हुए बताया कि राष्ट्रपति भवन के पास भारी गोलाबारी के कुछ घंटों बाद राष्ट्रपति अल्फा कोंडे की सरकार भंग कर दी गई है। साथ ही देश की जमीनी सीमाओं को भी सील कर दिया गया है।

 

रक्षा मंत्रालय ने हमला नाकाम करने का दावा किया

हालांकि, गिनी के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि विद्रोही बलों द्वारा राष्ट्रपति भवन पर हमले को नाकाम कर दिया गया है। रविवार की सुबह राजधानी कॉनाक्री में राष्ट्रपति भवन के पास भारी गोलीबारी हुई थी। दावा किया गया था कि इस हमले के पीछे एक पूर्व फ्रांसीसी सेनापति मामाडी डौंबौया के नेतृत्व में गिनी की सेना के एलीट कमांडो शामिल थे।

गिनी में कार्यवाहक सरकार का ऐलान
गिनी के राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे और आठ अन्य सशस्त्र सैनिकों से घिरे एक अज्ञात सैनिक ने प्रसारण में कहा कि उन्होंने एक कार्यवाहक सरकार बनाने की योजना बनाई है। हालांकि, विद्रोही गुट ने इस सरकार के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि बाद में इससे संबंधित ब्यौरा सार्वजनिक किया जाएगा।

राष्ट्रपति के बारे में कोई जानकारी नहीं
गिनी के राष्ट्रपति कोंडे फिलहाल कहां हैं, इस बारे में तुरंत पता नहीं चल सका है। विद्रोही कर्नल ममादी डौम्बौया ने 83 वर्षीय राष्ट्रपति का कोई उल्लेख नहीं किया। कर्नल ममादी ने कहा कि हम अब राजनीति एक आदमी को नहीं सौंपेंगे, हम इसे लोगों को सौंपेंगे। संविधान भी भंग किया गया और जमीनी सीमाएं बंद की गई हैं।

देश में आलोचना का सामना कर रहे थे राष्ट्रपति
कोंडे के तीसरे कार्यकाल को लेकर पिछले कुछ समय से आलोचना की जा रही है। वहीं, कोंडे का कहना है कि उनके मामले में संवैधानिक अवधि की सीमाएं लागू नहीं होतीं। अंततः उन्हें फिर से चुन लिया गया, लेकिन इस कदम ने सड़क पर हिंसक प्रदर्शन भड़का दिये थे। विपक्ष ने कहा कि इन प्रदर्शनों में सैकड़ों लोग मारे गए।

सरकार पर लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
कोंडे वर्ष 2010 में सबसे पहले राष्ट्रपति चुने गए थे जो 1958 मे फ्रांस से आजादी मिलने के बाद देश में पहले लोकतांत्रिक चुनाव थे। कई लोगों ने उनके राष्ट्रपति बनने को देश के लिए एक नयी शुरुआत के तौर पर देखा था लेकिन उनके शासन पर भ्रष्टाचार, निरंकुशता के आरोप लगाये गए। विरोधियों का कहना है कि वह गिनी के लोगों के जीवन में सुधार लाने में विफल रहे हैं, जिनमें से अधिकांश देश की विशाल खनिज संपदा के बावजूद गरीबी में रहते हैं।(साभार एन बी टी)

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