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कोरोना वायरस: बुटीक में बन रहे मास्क, सवाल…ये कितने सुरक्षित?

Fitness and Health

दिल्ली-एनसीआर में कोरोना वायरस की दस्तक के साथ ही बाजार में अचानक मास्क की मांग बढ़ गई है

नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर में कोरोना वायरस की दस्तक के साथ ही बाजार में अचानक मास्क की मांग बढ़ गई है। इसके कारण बाजार में जहां एक ओर इसकी कीमत बढ़ी है, वहीं उपलब्धता भी कम हो गई है। इसे देखते हुए इसका स्थानीय स्तर पर निर्माण भी बढ़ गया। जहां बुटीक में सूट, लहंगा की सिलाई होती थी, वहां दर्जी अब मास्क बना रहे हैं। लेकिन सवाल यह भी है कि यह कितने सुरक्षित हैं।

शाहीनबाग में बुटीक चलाने वाले शकील ने बताया कि अकेले शाहीनबाग, जामिया नगर, बाटला हाउस इलाके में चीन से पांच लाख मास्क बनाने का ऑर्डर है। ठेकेदार इलाके में घूम घूमकर दर्जियों से इस ऑर्डर को पूरा करने को कह रहे हैं। वह खुद लेडीज सूट बनाने का काम करते हैं, लेकिन मांग के चलते आजकल मास्क बना रहे हैं। काम में परिवार के अन्य लोगों की भी मदद ली जा रही है, जिससे समय से ऑर्डर पूरा कर सकें।

एक पीस बनाने में दस मिनट

एक बुटीक में काम कर रही महिला ने बताया कि गुरुवार शाम से मास्क बनाने का काम शुरू किया है। पहले कपड़ा, कागज, इलास्टिक की जरूरत पड़ती है। कपड़े को काटकर सिला जाता है। फिर इलास्टिक काटकर दोनों को एक साथ सिला जाता है। एक पीस को पूरा बनने में सात से दस मिनट लगते हैं। अपना पुरान काम छोड़कर इसे बनाने के पीछे यह भी सोच है कि इस काम से किसी र्की ंजदगी बच सकेगी। इसलिए अधिक घंटे काम कर रहे हैं।

एन 95 उच्च गुणवत्ता वाला मास्क है। जो छींकने, खांसने से फैलने वाले वॉटर मॉलिक्यूल से बचाव करता है। इनसे वायरस का खतरा रहता है। इस तरह गलियों में बनने वाले मास्क ज्यादा कारगर नहीं हैं। बनाते समय इनमें कीटाणु भी लग जाते हैं। यह सैनिटाइज भी नहीं होते हैं।-डॉ. करन मदान, प्रोफेसर, एम्स (पल्मोनरी मेडिसिन विभाग)(साभार लाइव हिंदुस्तान)

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