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कल को आप ये कोर्टरूम भी खोद दोगे…

From Court Room

गुवाहाटी:गुवाहाटी हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि भले ही कोई एजेंसी किसी बेहद गंभीर मामले की ही जांच क्यों न कर रही हो, किसी के मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी भी आपराधिक कानून में नहीं है। चीफ जस्टिस आरएम छाया ने असम के नगांव जिले में आगजनी की एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने के संबंध में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं। मकानों पर इस तरह से बुलडोजर चलाने की घटनाएं फिल्मों में होती हैं और उनमें भी, इससे पहले तलाशी वॉरंट दिखाया जाता है।’

दरअसल, स्थानीय मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम की कथित रूप से हिरासत में मौत के बाद भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा थाने में आग लगा दी थी। इस्लाम को एक रात पहले ही पुलिस लेकर गई थी। इसके एक दिन बाद जिला प्राधिकारियों ने इस्लाम सहित कम से कम छह लोगों के मकानों को उनके नीचे कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और नशीले पदार्थों की तलाश के लिए ध्वस्त कर दिया था और इसके लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया था। कोर्ट ने कहा कि किसी के घर की तलाशी लेने के लिए भी अनुमति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘कल अगर आपको कुछ चाहिए होगा, तो आप मेरे अदालत कक्ष को ही खोद देंगे।’ चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की अनुमति दे दी जाती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। इस मामले पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।

न्यायमूर्ति छाया ने कहा कि मकानों पर इस तरह से बुलडोजर चलाने की घटनाएं फिल्मों में होती हैं और उनमें भी, इससे पहले तलाशी वारंट दिखाया जाता है। इस मामले पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।

तब तो आप कोर्टरूम भी खोद देंगे
रिपोर्ट की ओर इशारा करते हुए न्यायमूर्ति छाया ने कहा कि वह एक एसपी हो सकता है। लेकिन यहां तक कि आपके उच्च-अधिकारी को कानून के दायरे से गुजरने की जरूरत है। केवल इसलिए कि वे पुलिस विभाग के प्रमुख हैं, वे किसी का घर नहीं तोड़ सकते। अगर इस तरह की कार्रवाई की अनुमति दी जाती है तो इस देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है।

पीठ ने जानना चाहा कि क्या कार्रवाई के लिए कोई पूर्व अनुमति मांगी गई थी, जिस पर राज्य के वकील ने जवाब दिया कि यह घरों की तलाशी के लिए है। न्यायमूर्ति छाया ने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि यह (कार्रवाई) अनसुनी है कम से कम मेरे अब तक के करियर में। मैंने किसी पुलिस अधिकारी को तलाशी वारंट के रूप में बुलडोजर चलाते हुए नहीं देखा है।

न्यायमूर्ति छाया ने कहा, “यहां तक कि अगर एक एजेंसी द्वारा एक बहुत ही गंभीर मामले की जांच की जा रही है, तो किसी भी आपराधिक कानून के तहत घर पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान नहीं है।” इस बात पर जोर देते हुए कि एक घर की तलाशी लेने के लिए भी अनुमति की आवश्यकता होती है, न्यायमूर्ति छाया ने कहा कि कल अगर आपको किसी चीज की आवश्यकता होगी, तो आप मेरे कोर्टरूम को भी खोद देंगे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की अनुमति दी जाती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं होगा।(साभार एन बी टी)

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