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कंधे में चोट, जला हाथ, पिता थे खिलाफ, ओलंपिक में अब पदक के करीब

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तोक्यो
दो बार की एशियाई चैम्पियन भारतीय मुक्केबाज पूजा रानी (75 किग्रा) ने ओलिंपिक में अपनी पहली बाउट में धमाकेदार जीत दर्ज की। उन्होंने अल्जीरिया की इचरक चाएब को 5-0 से रौंदकर क्वॉर्टर फाइनल में जगह बना ली है। अब सिर्फ एक विनिंग पंच उन्हें पदक दिला देगा। खैर, यह तो रही आज की बात। इस होनहार मुक्केबाज का हरियाणा के भिवानी जिले से तोक्यो पहुंचने का सफर संघर्षभरा रहा है।

कंधे की चोट और जला हाथ
वह कंधे की चोट (2017) से जूझती रहीं जिससे उनका करियर खत्म होने का भी डर बना हुआ था, उनका हाथ भी जल गया (2016) था। वित्तीय सहयोग की कमी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिश जारी रखी। उनकी मेहनत कामयाब रही और वह यहां तक पहुंच गईं।

पिता थे बॉक्सिंग के खिलाफ
उनके पिता पुलिस अधिकारी हैं जो उन्हें इस खेल में नहीं आने देना चाहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि मुक्केबाजी आक्रामक लोगों के लिए ही है। उन्होंने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा था- मार लग जाएगी। मेरे पिता ने यही कहा था। उन्होंने कहा था कि यह खेल मेरे लिए नहीं है क्योंकि उन्हें लगता था कि मुक्केबाजी केवल आक्रामक (गुस्सैल) लोग ही करते हैं। हालांकि, अब उनके पिता बेटी पर गर्व कर रहे होंगे।

ऐसा रहा फाइट का रोमांच
तीस साल की भारतीय ने पूरे मुकाबले के दौरान अपने से 10 साल जूनियर प्रतिद्वंद्वी पर दबदबा बनाये रखा। हरियाणा की मुक्केबाज दाहिने हाथ के सीधे दमदार मुक्कों से नियंत्रण बनाये हुए थीं और उन्हें चाएब के रिंग में असंतुलन का भी काफी फायदा मिला। तीनों राउंड में रानी का दबदबा रहा जबकि चाएब भी अपना पहला ओलिंपिक खेल रही थीं लेकिन वह मुक्के सही जगह नहीं जड़ पा रही थीं। रानी ने पूरी बाउट के दौरान जवाबी हमले किये जबकि चाएब भी दमदार मुक्के लगाने का प्रयास कर रही थीं लेकिन वे अपने लक्ष्य से चूकते रहे

अब चीन की फाइटर से मुकाबला
रानी अब 31 जुलाई को क्वार्टरफाइनल में ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता, दो बार की एशियाई चैम्पियन और पूर्व विश्व स्वर्ण पदक विजेता चीन की लि कियान से भिड़ेंगी। चीन की 31 साल की मुक्केबाज का पूजा के खिलाफ रेकॉर्ड शानदार है। वह भारतीय मुक्केबाज को 2014 एशियाई खेलों के सेमीफाइनल में और पिछले साल जोर्डन में एशियाई ओलिंपिक क्वालीफायर में भी हरा चुकी हैं।(साभार एन बी टी)

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