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मैं नहीं तुम करो! अपने अंतिम संस्कार की राह देखता पिता का शव

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मैनपुरी
मैनपुरी जिले में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। आवास विकास के मकान नंबर-346/2 में रहने वाले रामौतार प्रजापति ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस मकान को उन्होंने अपनी मेहनत और गाढ़ी कमाई से बनाया है, मेरे मरने के बाद मेरी लाश को उसी मकान के दरवाजे पर रखकर मेरे अपने ही मेरी लाश को साक्षी मानकर आपस में समझौता करेंगे।

मामला पिता के गुजरने के बाद दो भाइयों में संपत्ति के बंटवारे को लेकर था। मृतक रामौतार प्रजापति का छोटा बेटा मनमोहन ने अपने बड़े भाई सुरेंद्र पर आरोप लगाया है कि उसने 5 दिन पूर्व पिता से वसीयत अपने नाम करवा ली और 17 जून की रात 1 बजे पिता की गला दबाकर हत्या कर दी।

पुलिस ने शव का कराया पोस्टमार्टम
सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम कराया। जिसमें मौत की वजह सांस नली में इंफेक्शन होना सामने आया। जिसके बाद हिरासत में लिए गए बड़े बेटे को पुलिस ने छोड़ दिया। वहीं, परिवार के अन्य सदस्यों ने आरोप लगाया है कि सुरेंद्र एलआईसी (LIC) में एजेन्ट है और एक माह पूर्व उसने अपने पिता का मृत्यु के बाद 50 लाख का बीमा कराया था। जिसमें वह खुद नॉमिनी है। 5 दिन पूर्व कराई गई वसीयत में मुख्य संपत्ति में वह खुद वारिश है। वहीं, अन्य सम्पत्ति में बराबर का हकदार है। परिवार के अन्य सदस्य मृतक रामौतार प्रजापति के शव का फिर से पोस्टमॉर्टम कराने के लिए जिलाधिकारी से मिलने की बात कहते रहे, लेकिन पुलिस के काफी समझाने के बाद रविवार शाम को शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

पड़ा रहा शव
एग्रीकल्चर विभाग में सरकारी कर्मचारी रहे रामौतार प्रजापति की आत्मा, अगर यह सब देख रही होगी तो निश्चय ही सोच रही होगी कि असमय मृत्यु होनी ही थी तो कोरोना काल में ही हो जाती। कम से कम शव परिवार को दिए बिना प्रसाशन अंतिम संस्कार कर देता।(साभार एन बी टी)

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