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30 KM लंबा, 10 KM चौड़ा, 14 कुएं, इस खजाने पर अब चीन की गिद्ध नजर

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बगदाद: अफ्रीकी देशों पर पकड़ मजबूत करने के बाद अब चीनी ड्रैगन ने तेल के अकूत खजाने से लैस इराक पर अपनी गिद्ध नजरें गड़ा दी हैं। चीन न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में बल्कि व‍िनिर्माण क्षेत्र में भी पश्चिमी देशों के दबदबे को खत्‍म करने में जुट गया है। वह भी तब जब कई विशेषज्ञों ने इराक को चेतावनी दी है कि इन आधारभूत ढांचे से जुड़े प्रॉजेक्‍ट से वह श्रीलंका की तरह से चीनी कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंस सकता है। चीन की नजर अब इराक के हालफाया तेल क्षेत्र पर जो काला सोना उगलता है। यह पूरा इलाका करीब 30 किमी लंबा है और 10 किमी चौड़ा है। एक अनुमान है कि इसमें 4.1 अरब बैरल तेल का भंडार छिपा हुआ है। इराक के इस तेल क्षेत्र की सबसे पहले 1976 में खोज हुई थी।

चीन इस तेल क्षेत्र से हर दिन 2 लाख बैरल तेल निकालने की तैयारी कर रहा है। वॉशिंगटन में रह रहे पश्चिम एशिया मामलों के विशेषज्ञ जॉन कालाब्रेसे का कहना है कि इराक में दशकों तक चले संघर्ष के बाद उसे अब बहुत बड़ी तादाद में विदेशी निवेश की जरूरत है। इसमें भी खासतौर पर ऊर्जा सेक्‍टर के आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने के लिए। इस बीच चीन की ऊर्जा की भूख लगातार बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि चीन ने अब अपनी भूख को शांत करने के लिए इराक पर नजरें गड़ा दी हैं। दरअसल, इराक के इस खजाने को देखते हुए ही चीन ने साल 2019 में ‘तेल के बदले निर्माण’ का एक समझौता किया था। चीन अब इराक के तेल के सबसे बड़े खरीदारों में शामिल हो गया है। साल 2021 में चीन ने इराक से निर्यात किए गए कुल तेल का 44 फीसदी खरीदा था।

‘चीन ने अभी इराक में केवल शुरुआत की है’
चीन की सरकारी तेल कंपनी पेट्रोचाइना ने फ्रांस की कंपनी टोटल एनर्जी और मलेशिया की कंपनी पेट्रोनास के साथ मिलकर दक्षिणी इराक में स्थित हालफाया तेल क्षेत्र से उत्‍खनन के लिए समझौता किया है। इराक में चीन के राजदूत कूई वेई ने पिछले दिनों कहा था, ‘चीन ने अभी इराक में केवल शुरुआत की है।’ वहीं विशेषज्ञ जॉन कालाब्रेसे कहते हैं कि चीन की मंशा इराक के साथ व्‍यापार से कहीं ज्‍यादा बढ़कर है। उन्‍होंने कहा कि चीन चाहता है कि इस इलाके में ठीक उसी तरह से अपना प्रभाव बनाया जाए जैसे पश्चिमी देशों खासतौर पर अमेर‍िका का रहा है। इराक चीन के कर्ज के जाल कहे जाने वाले बेल्‍ड एंड रोड परियोजना का हिस्‍सा है। पश्चिमी देशों का कहना है कि चीन की यह परियोजना गरीब देशों को कर्ज के बोझ तले दबा रही है। उधर, चीन का कहना है कि इराक बीआरआई परियोजना में महत्‍वपूर्ण सहयोगी पार्टनर है।

ड्रैगन ने दावा किया कि चीन इराक की अर्थव्‍यवस्‍था के फिर से निर्माण में सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रहा है। चीन फूदान यूनिवर्सिटी के एक शोध पत्र में कहा गया है कि साल 2013 से लेकर इस साल तक इराक ऊर्जा के क्षेत्र में बीआरआई परियोजना का तीसरा सबसे महत्‍वपूर्ण भागीदार रहा है। साल 2019 की तेल के बदले निर्माण डील के तहत चीन इराक में निर्माण का काम कर रहा है, इसके बदले में उसे हर दिन 1 लाख बैरल तेल मिल रहा है। इराक के पूर्व प्रधानमंत्री अदेल अब्‍देल महदी ने चीन की यात्रा की थी और देश में स्‍कूल बनाने के समझौते पर हस्‍ताक्षर किया था। चीन अब इराक में 8 हजार स्‍कूल बना रहा है। इराक में एयरपोर्ट पर भी काम शुरू हो गया है जिसे चीन की कंपनी नसिरियाह इलाके में बना रही है। हालांकि समझौते के तहत चीन को इराक के ठेकेदारों से ही कच्‍चा माल और मजदूर लेना पड़ रहा है।

इराकी बाजार अब चीन के सामानों से अटा पड़ा
इराक में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच बड़ी संख्‍या इराकी लोग चीन के साथ बिजनस कर रहे हैं। यही नहीं चीन अब इराकी लोगों को मंदारिन भाषा सिखा रहा है। एक इराकी शिक्षक सज्‍जाद अल कज्‍जाज ने कहा, ‘जब मैं चीन से इराक वापस लौटा तो पाया कि बहुत बड़ी तादाद में लोग मंदारिन भाषा सीखना चाहते हैं।’ इनमें से ज्‍यादातर लोग बिजनसमैन हैं जो चीन से सामान आयात करते हैं। हालत यह है कि इराकी बाजार अब चीन के सामानों से अटा पड़ा है। चीन के कर्ज के जाल में फंसकर श्रीलंका का बुरा हाल है और उसे दुनिया के सामने झोली फैलानी पड़ रही है। कंगाल श्रीलंका को कर्ज तक नहीं मिल रहा है। अब यही डर इराक के बारे में भी जताया जा रहा है।(साभार एन बी टी)

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