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2000 के नोटों की संख्या घटी 500 रुपये की बढ़ी, नकली नोट भी खपा रहे जालसाज

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वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में 500 रुपये की नकल में 121 पर्सेंट की बढ़ोतरी
2000 रुपये की करंसी के मामले में यह आंकड़ा 21.9 पर्सेंट है
200 रुपये के नए नोट 2017 में पेश हुए थे, इसके 12,728 जाली नोट मिले
जाली नोटों के सर्कुलेशन में उछाल सिर्फ नोट का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से नहीं आ रही
मुंबई

नोटबंदी के बाद बाजार में 2,000 रुपये के नोट आए थे, जिस पर काफी बहस हुई थी। लोगों ने शिकायत की थी कि इसका फुटकर कराने में काफी दिक्कत आती है। कुछ ने सवाल खड़े किए थे कि इससे ब्लैक मनी कम कैसे होगी। हालांकि अब सरकार सबसे बड़े नोट को बाजार से कम कर रही है। पिछले वित्त वर्ष में 2000 रुपये का चलन तेजी से घटा जबकि 500 रुपये के नोटों की संख्या बढ़ी है। वहीं 200, 500 और 2000 रुपये के नकली नोट भी बढ़े हैं।
7.2 करोड़ कम हुए 2,000 के नोट
पिछले वित्त वर्ष के दौरान 2000 रुपये के नोटों का चलन काफी कम हो गया। 2018-19 में चलन में रहे 2000 रुपये के नोटों की संख्या में 7.2 करोड़ की कमी दर्ज की गई। पिछले वित्त वर्ष में नई 2000 की करंसी की संख्या 336 करोड़ से घटकर 329 करोड़ पीस रह गई। वहीं, 500 रुपये के नोट की संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 1546 करोड़ के मुकाबले 2018-19 में बढ़कर 2151 करोड़ पीस थी।
करंसी बना रहे जालसाज, बढ़े नकली नोट
दरअसल, करंसी जालसाज 200, 500 और 2000 रुपये के नए नोटों की नकल के तरीके तलाश रहे हैं। रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक, इनके डुप्लिकेशन के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद इन्हें जारी किया था। 500 रुपये के नए डिजाइन वाले नोट 2017 में जारी हुए थे। वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में इसकी नकल में 121 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। वहीं, 2000 रुपये की करंसी के मामले में यह आंकड़ा 21.9 पर्सेंट है। सरकार ने 200 रुपये के नए नोट 2017 में पेश किए थे। इसके 12,728 जाली नोट मिले, जबकि पिछले साल सिर्फ 79 ही पकड़े गए थे।

RBI के डेटा के मुताबिक, इस अवधि के दौरान 500 और 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन क्रमश: 18 और 21 पर्सेंट ही बढ़ा था। इससे पता चलता है कि जाली नोटों के सर्कुलेशन में उछाल सिर्फ नोट का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से नहीं आ रहा है। बैंकिंग रेगुलेटर के आंकड़ों से पता चलता है कि समान मूल्य वाले पुराने नोटों के मामले में उनके नकली होने की आशंका ज्यादा थी। नए नोटों के डुप्लिकेशन से बैंकिंग सिस्टम की दिक्कत बढ़ सकती है क्योंकि जालसाज इनकी नकल बनाने के लिए नए तरीके तलाश रहे हैं।
RBI की गुरुवार को जारी सालाना रिपोर्ट के अनुसार, ‘2018-19 के दौरान बैंकिंग सेक्टर में जब्त कुल फेक इंडियन करंसी नोट (FICN) में से 5.6 पर्सेंट की रिजर्व बैंक और 94.4 पर्सेंट की अन्य बैंकों ने पहचान की थी।’
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक नए नोटों को चरणबद्ध तरीके से पुराने नोटों की जगह लेने के लिए लाया था। उस वक्त यह दलील दी गई थी कि पुराने नोटों की नकल बनने का खतरा ज्यादा है। इसके तुरंत बाद नवंबर 2016 में नोटबंदी हुई थी। वैल्यू के लिहाज से मार्च 2019 के आखिर तक 500 और 2000 के नोटों की हिस्सेदारी कुल वैल्यू में 82.2 पर्सेंट थी। RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़ा मार्च 2018 के अंत में 80.2 पर्सेंट था। इसके अलावा, समान अवधि में क्रमशः 10, 20 और 50 रुपये में पाए गए नकली नोटों में 20.2 पर्सेंट, 87.2 पर्सेंट और 57.3 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई। सिर्फ 100 के मूल्यवर्ग में पाए गए नकली नोटों में 7.5 पर्सेंट की गिरावट देखी गई।(साभार इकॉनॉमिक्स टाइम्स)

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