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सिंगल डोज में कोरोना का काम तमाम

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दिल्ली : भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के एक विशेषज्ञ पैनल ने कोविड-19 रोधी टीके ‘स्पुतनिक लाइट’ के सीमित आपातकालीन उपयोग की सिफारिश की। आधिकारिक सूत्रों ने ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विभिन्न नियामक प्रावधानों की शर्तों के तहत ये सुझाव दिया गया है। स्पुतनिक लाइट, स्पुतनिक-वी के ‘कम्पोनेंट-1’ की तरह ही है।

डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज के अनुसार स्पुतनिक लाइट को अर्जेंटीना और रूस समेत 29 देशों में मान्यता प्राप्त है। सिफारिश को अंतिम मंजूरी के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के पास भेजा गया है।

इस वैक्सीन का क्या होगा फायदा?
रूस ने स्पूतनिक वी वैक्सीन के जिस लाइट वर्जन को मंजूरी दी है, वो वैक्सीन सिंगल डोज में ही कोरोना वायरस का काम तमाम कर देगा। अभी तक इसके लिए वैक्सीन का दो डोज लगाना जरूरी होता है। कोरोना वायरस के खिलाफ स्पूतनिक लाइट वर्जन 79.4 फ़ीसदी तक प्रभावी पाई गई है। इसकी कीमत $10 मतलब करीब ₹730 से भी कम है।

इस वैक्सीन को किसने विकसित किया है?
स्पूतनिक के इस लाइट वर्जन वैक्सीन को मास्को स्थित गमलेया इंस्टिट्यूट Gamaleya Research Institute of Epidemiology and Microbiology ने विकसित किया है। स्पूतनिक लाइट का इस्तेमाल टीकाकरण की गति को तेज करने में किया जा सकता है। इससे भारत समेत तमाम उन देशों को फायदा मिल सकता है, जहां संक्रमण तेजी से फैल रहे हैं।

कब से हो रहा है सिंगल डोज वाली वैक्सीन का परीक्षण?
वैक्सीन को 5 दिसंबर 2020 से लेकर 15 अप्रैल 2020 के दौरान लोगों को लगाया गया। इसमें लोगों को वैक्सीन दिए जाने के 18 दिन बाद उसका डाटा एकत्र किया गया। इस आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि सिंगल डोज वाली स्पूतनिक लाइट वैक्सीन 79.4 फ़ीसदी प्रभावी है।

तीसरे चरण का ट्रायल रूस से बाहर भी किया गया
इस टीके के तीसरे चरण का ट्रायल रूस के अलावा संयुक्त अरब अमिरात, घाना सहित कई देशों में किया गया। यह जानकारी रूसी अधिकारियों ने दी। बताया गया है कि इस ट्रायल के चरण में 7,000 से अधिक लोग शामिल रहे।

डबल डोज वाली वैक्सीन का भारत में भी इस्तेमाल
रूस की डबल डोज वाली वैक्सीन स्पूतनिक वी को भारत समेत करीब 56 से ज्यादा देशों में इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल चुकी है। रूसी वैज्ञानिकों ने पिछले महीने ही कहा था कि डबल डोज यानी स्पूतनिक वी वैक्सीन कोरोनावायरस के खिलाफ 97.6 फीसदी प्रभावी हैं।(साभार एन बी टी)

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