नई दिल्ली
लॉकडाउन का दूसरा चरण समाप्त होने के पहले केंद्र सरकार राज्यों को आर्थिक मदद दे सकती है। मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की सोमवार को हुई बैठक के बाद केंद्र सरकार इस बारे में गंभीरता से विचार कर रही है। सीधे तौर पर आर्थिक पैकेज देने या कुछ और छूट और विभिन्न सेक्टरों में सुविधाओं की बढ़ोतरी की जा सकती है। जल्द ही इस बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है।
कैसे राज्यों की स्थिति सुधारी जाए, इसे लेकर केंद्र गंभीर राज्यों को आर्थिक मदद का स्वरूप क्या हो और कैसे राज्यों की आर्थिक स्थिति सुधारी जाए, इसे लेकर केंद्र गंभीर है। महाराष्ट्र, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत विपक्ष के शासन वाले कई राज्य केंद्र से कोरोना संकट के दौरान आर्थिक मदद की गुहार लगा चुके हैं। प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुए संवाद में भी मुख्यमंत्रियों ने इस तरह की मांग की थी।
केंद्र का आत्मनिर्भरता पर जोर: प्रधानमंत्री मोदी यह संकेत भी दे चुके हैं कि इस हालत में हर स्तर पर आत्मनिर्भर बनना होगा। जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करनी होगी। इससे ये संकेत हैं कि केंद्र से बहुत ज्यादा उम्मीद न रखें, बल्कि अपने संसाधनों, नीतियों और उपायों से अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की कोशिश करें। वहीं केंद्र भी अपनी तरफ से हर संभव सहायता देगा लेकिन पूरी तरह केंद्र सरकार पर निर्भर रहना संभव नहीं है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय स्तर पर भी विभिन्न मदों से आने वाले राजस्व में कमी से दिक्कतें बढ़ी हैं। हालांकि, हालात इस तरह के नहीं हैं जिससे बहुत ज्यादा चिंता हो। वहीं, सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि ऐसे मौके पर नीति नियोजन और सधे हुए कदमों से भविष्य की तैयारी की जा सकती है।
विपक्ष की सरकारों का दबाव: राकांपा के वरिष्ठ नेता शरद पवार प्रधानमंत्री को इस बारे में पत्र लिख चुके हैं। शिवसेना ने भी जीडीपी का 10 फीसद राज्यों को सहायता के रूप में देने की मांग की है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब की सरकारें भी इसी तरह की मांग कर रही हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को होने वाली बैठक में इस बारे में विचार-विमर्श हो सकता है। पहले भी वित्त मंत्रालय की तरफ से कई तरह की आर्थिक मदद राज्यों को दी गई है और अब विभिन्न मंत्रालय अलग-अलग सेक्टरों के जरिए मदद देकर राज्यों की सहायता करने की तैयारी में हैं।(साभार लाइव हिंदुस्तान)