नई दिल्ली
इन दिनों पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए और सरकार आपके रिटायरमेंट से जुड़ी एक अहम चीज पर विचार कर रहे हैं। ये जानने की कोशिश हो रही है कि कैसे उन सुपरएनुएशन फंड्स को कानून के दायरे में लाया जाए, जो अभी इससे बाहर हैं। इसके लिए कानून में कुछ बदलाव भी किए जाने पर विचार हो रहा है। मौजूदा समय में करीब 400-500 ऐसे सुपरएनुएशन फंड हैं, जो सरकार के रेगुलेशन से बाहर हैं। इनमें से 50-60 तो बड़े प्लेयर हैं। सरकार चाहती है कि किसी भी शख्स का हक ना मारा जाए और उसका रिटायरमेंट फंड सुरक्षित रहे।
अभी पेंशन बिजनस के कम से कम 3 रेगुलेटर हैं। पीएफआरडीए अभी नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस (NPS) को देखता है। वहीं लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से बेचे जाने वाले एन्युटी प्लान्स (Annuity Plans) को इंश्योरेंस रेगुलेटर्स (Insurance Regulators) देखते हैं। म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) भी पेंशन प्लान बेचते हैं, जिन्हें सेबी (SEBI) रेगुलेट करता है। पीएफआरडीए के चेयरमैन सुप्रतिम बंदोपाध्याय ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि बहुत से सुपरएनुएशन फंड अभी तक किसी भी रेगुलेटर के तहत नहीं आते हैं। इन फंड्स को कानूनी दायरे में लाने के लिए पीएफआरडीए एक्ट (PFRDA Act) में कुछ बदलाव करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस पर अभी विचार किया जा रहा है। इनके रेगुलेशन से ये सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कर्मचारियों या लाभार्थियों को वह फायदे मिल सकें, जिनका दावा किया जा रहा है।
मौजूदा रेगुलेटरी स्ट्रक्चर के तहत इन फंड्स को आयकर विभाग से एक मंजूरी मिलती है और साथ ही उन्हें वित्त मंत्रालय की गाइडलाइंस का भी पालन करना होता है। नए प्रस्ताव के तहत हर फंड को पीएफआरडीए के साथ रजिस्टर होना जरूरी होगा, जो हर निवेश पर नजर रखेगा। साथ ही एक निश्चित समय पर पीएफआरडीए ये चेक भी करेगा कि नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं। बंदोपाध्याय कहते हैं कि पीएफआरडीए इन ट्रस्ट के लाभार्थियों को हितों की रक्षा करना चाहता है। अगर ट्रस्ट नियमों के हिसाब से काम करेंगे तो वह आगे भी काम करते रहेंगे, वरना उन्हें एनपीएस में जोड़ा जाएगा और रेगुलेट किया जाएगा।(साभार एन बी टी)