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‘बीजेपी को समझ तक नहीं आई हमारी स्ट्रैटेजी…’ चहके अखिलेश

Politics

नई दिल्‍ली
यूपी का चुनाव दिलचस्‍प होता जा रहा है। कुछ ही दिनों में तस्‍वीर बिल्‍कुल बदल गई है। राज्‍य की सत्‍ता में पहले बीजेपी आसानी से वापसी करती दिख रही थी। लेकिन, उसकी राह में अपनों ने ही रोड़े बिछा दिए हैं। यूपी चुनाव से ऐन पहले सपा ने बीजेपी खेमे में खलबली मचा दी है। चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही एक के बाद एक बीजेपी के कई मंत्रियों और विधायकों ने सपा का रुख किया है। इसके चलते सपा प्रमुख अखिलेश यादव फूले नहीं समा रहे हैं। सियासी पिच पर उन्‍होंने बीजेपी को करारा झटका दिया है। अखिलेश इस बात से भी बेहद खुश हैं कि उनकी रणनीति को बीजेपी भांप तक नहीं सकी। उन्‍होंने कहा कि अगर बीजेपी को इसकी जरा भी भनक लगती तो वह डैमेज कंट्रोल में लग जाती।

पिछले कुछ दिनों में यूपी के चुनावी शो में सपा छा गई है। गुजरे तीन दिनों में बीजेपी के कम से कम 9 विधायकों ने सपा का दामन थामा है। यह संख्‍या लगातार बढ़ती जा रही है। अक्‍टूबर से बीजेपी के करीब 13 विधायक सपा में शामिल हो चुके हैं।

11 तारीख से बीजेपी के बागी विधायकों का भगवा पार्टी को छोड़ सपा में शामिल होने की खबरें सुर्खियों में हैं। यह काम पूरे गाजे-बाजे के साथ किया गया। इस्‍तीफा देने के लिए एक ही पैटर्न का इस्‍तेमाल हुआ। सभी के इस्‍तीफे में कमोबेश एक ही जैसी बातें लिखी गईं। मीडिया में आकर सब ने एक ही बातें दोहराईं। इस्‍तीफा देने वाले करीब-करीब हर विधायक और मंत्री के साथ सपा प्रमुख ने अपनी तस्‍वीर शेयर की।

अखिलेश के हौंसले बुलंद, बदली बॉडी लैंग्विज
बीजेपी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, भगवती सागर, विनय शाक्य, रोशन लाल वर्मा, मुकेश वर्मा, बृजेश कुमार प्रजापति को शुक्रवार को धूमधाम से सपा में शामिल किया गया। इसे एक इवेंट बनाया गया। इस दौरान सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मौजूद रहे। चुनाव से ठीक पहले इतने विधायकों का टूटकर सपा में शामिल होना अखिलेश के लिए किसी ‘बूस्‍टर डोज’ से कम नहीं हैं। उनकी बॉडी लैंग्विज और तेवर बदल गए हैं। उनकी चहक एक अलग लेवल पर पहुंच गई है।

विधायकों के सपा में शामिल होने के इस कार्यक्रम में पूर्व सीएम ने मुख्‍यमंत्री योगी पर खूब तंज कसे। उन्‍होंने कहा- ‘मुझे लगता है कि सरकार के लोगों को पहले ही पता लग गया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी के साथ बड़ी संख्या में लोग आ रहे होंगे। इसलिए हमारे मुख्यमंत्री पहले ही गोरखपुर चले गए। हालांकि, उनकी 11 मार्च की किसी ने टिकट बुक कर रखी है।’

अखिलेश ने कहा- ये जो उत्तर प्रदेश के बाबा मुख्यमंत्री हैं वो फेल हो चुके हैं। जितने भी दिल्ली वाले आए, अब ये पास होने वाले नहीं हैं क्योंकि जनता ने मन बना लिया है कि इनका सूपड़ा साफ होगा। और इस बार तो ऐसा बीजेपी वाले हिट विकेट हुए कि हमारे तमाम नेताओं की स्ट्रैटेजी नहीं समझ पाए वो। अगर स्ट्रैटिजी समझ गए होते तो पता नहीं क्या करते वो लोग। न जाने कौन से डैमेज कंट्रोल में लग जाते।

अखिलेश बोले कि ’80 बनाम 20′ से उनका मतलब है कि बीजेपी को उत्तर प्रदेश चुनाव में 20 फीसदी सीटें मिलेंगी जबकि बाकी 80 फीसदी सपा को मिलेंगी। लेकिन, आज की भीड़ देखकर लगता है कि अब उनको वह भी मिलना मुश्किल होगा।’

उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ दिनों पहले हमने कहा था कि मुख्यमंत्री जी को गणित का अध्यापक रखना होगा। यह जो अस्सी और बीस की बात कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के साथ अस्सी फीसदी लोग खड़े ही हो गए। जिन जिन लोगों ने आज मंच को देखा होगा, स्वामी प्रसाद मौर्य की बात सुनी होगी, उससे लगता है कि वह 20 फीसदी भी उनके खिलाफ हो गए होंगे।’

सपा नेता ने कहा, ‘अब भारतीय जनता पार्टी का सफाया होना तय है। अब कोई सफाया होने से रोक नहीं सकता और जो लोग तीन चौथाई की बात कर रहे थे, वह दरअसल तीन से चार फीसदी की बात कर रहे हैं ।’

सपा का प्‍लान समझने में चूकी बीजेपी?
एक-एक कर इतने विधायकों और मंत्रियों का बीजेपी छोड़ सपा में शामिल हो जाना कोई मामूली बात नहीं है। यह एकदम से कैसे हो गया? बागियों के खिलाफ बीजेपी समय रहते कुछ क्‍यों नहीं कर सकी? क्‍या सपा का प्‍लान समझने में बीजेपी से चूक हुई?

यह बात तो तय है कि मौर्या के निकलने के बाद बाकी पिछड़े नेता यूं ही बीजेपी नहीं छोड़ने लगे होंगे। सबका आपसी तालमेल पहले ही बन गया होगा। उसके सूत्रधार अखिलेश रहे होंगे। आखिर बीजेपी को इतनी बड़ी हलचल की भनक तक क्यों नहीं लगी। पिछले तीन दिनों में जो कुछ हुआ है वह दिखाता है कि यह सोची-समझी रणनीति है। सपा ने इसके जरिये चुनाव का आकर्षण चुरा लिया है। पिछले कुछ दिनों में सिर्फ उसी की चर्चा है। बीजेपी को इस मोर्चे पर अखिलेश ने पटखनी दी है।

आसान नहीं अखिलेश की डगर…
इस्तीफा देने वाले मंत्री और ज्‍यादातर विधायक जो अब तक भाजपा छोड़कर आए हैं, वो सभी मौर्य के खास माने जाते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के मंगलवार को यूपी सरकार से इस्तीफा देने के बाद ये सभी विधायक बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं ।

इनमें से ज्‍यादातर विधायक उत्तर प्रदेश में 2017 के चुनावों से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) से बीजेपी में शामिल हो गए थे। कुछ बीजेपी नेताओं का दावा है कि ये वो विधायक हैं जो जानते हैं कि इस बार उन्हें विधानसभा का टिकट नहीं दिया जाएगा।

अखिलेश आज भले ही खुश हैं, लेकिन उनके सामने सबको साधने की बड़ी चुनौती है। यह ऐसा कुनबा है जो सिर्फ सत्ता देखता है। किसी की परवाह नहीं करता है। जो पांच साल सत्ता भोगने के बाद भी बीजेपी को लात मार सकता है वो सपा के साथ दगाबाजी नहीं करेगा, इसकी गारंटी कैसे दी जा सकती है?

वैसे भी ये नेता इसलिए सपा के साथ गए क्योंकि इन्हें लग रहा है कि बीजेपी जाति आधारित राजनीति की जड़ें काटने पर तुली है। ये सभी अपनी-अपनी जाति की ही राजनीति करते हैं। लिहाजा, बीजेपी से उन्हें खतरा लग रहा था। निश्चित है कि अखिलेश को इनकी सौदेबाजी का सामना करना होगा। इनके साथ सौदे की शर्तें बहुत कठिन हो सकती हैं। अखिलेश को इसके लिए तैयार रहना होगा।

उत्तर प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होने हैं। इसकी शुरुआत 10 फरवरी से होगी। पहले चरण में 58 सीटों पर मतदान होगा। फिर 14 फरवरी को दूसरे चरण में 55 सीटों, 20 फरवरी को तीसरे चरण में 59 सीटों, 23 फरवरी को चौथे चरण में 60 सीटों, 27 फरवरी को पांचवें चरण में 60 सीटों, तीन मार्च को छठे चरण में 57 सीटों और सात मार्च को सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान होना है। उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 14 मई को पूरा हो रहा है।(साभार एन बी टी)

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