मीडिया मुग़ल

बिना लड़े अफगान जीतने की तैयारी में तालिबान, अमेरिका भी हैरान

Breaking News

काबुल
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के लड़ाके बिना लड़ाई के ही जीत हासिल करने की तैयारी में हैं। तालिबान अब काबुल की सरकार की तुलना में अफगानिस्तान के बॉर्डर पोस्ट पर कहीं मजबूती से कब्जा करके बैठा हुआ है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि यह आतंकी संगठन ज्यादा खून-खराबा किए बिना देश पर रणनीतिक रूप से कब्जा जमाने की तैयारी में है। जिन बॉर्डर पोस्ट पर तालिबान का नियंत्रण है, वहां व्यापार रुक गया है। ऐसे में अफगान सरकार को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा आपूर्ति के बाधित होने से राजधानी काबुल में खाने-पीने जैसी चीजों की भी कमी होने लगी है।

अफगानिस्तान के अधिकतर बॉर्डर पर तालिबान का कब्जा
तालिबान ने पाकिस्तान, ईरान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को जोड़ने वाले हेरात, फरहा, कंधार, कुंदुज, तखर और बदख्शां प्रांतों में कई बड़े हाईवे और बॉर्डर पोस्ट पर कब्जा कर लिया है। इन रास्तों से 2.9 बिलियन डॉलर का आयात-निर्यात किया जाता है। अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार अभी नंगरहार, पक्त्या, पक्तिका, खोस्त और निमरोज प्रांतों में ईरान और पाकिस्तान से लगती बॉर्डर पोस्ट पर कब्जा जमाए हुए है। इन रास्तों से होने वाले व्यापार की कुल कीमत 2 बिलियन डॉलर के आसपास है। आतंकियों के इस सोचे-समझे प्लान से अमेरिका तक हैरान है। अमेरिकी सेना के कई विशेषज्ञों ने भी तालिबान की बढ़ती ताकत को लेकर चेतावनी दी है।

तालिबान और अफगान सेना में जंग जारी
उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के साथ लगने वाली दो बॉर्डर पोस्ट पर कब्जे को लेकर भयंकर लड़ाई छिड़ी हुई है। तालिबान के लड़ाके और सरकारी सेना जोवजान और बल्ख प्रांतों में अपने-अपने दबदबे को कायम करने के लिए कई दिनों से युद्ध लड़ रही हैं। चारों तरफ से जमीन से घिरे अफगानिस्तान की सीमा पश्चिम में ईरान, पूर्व और दक्षिण में पाकिस्तान और उत्तर में तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान से लगती है। पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के साथ पूर्वोत्तर में एक संकीर्ण वखान पट्टी अफगानिस्तान को चीन के शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र से जोड़ती है।

खाने-पीने की कमी से जूझने के कगार पर काबुल
ये पड़ोसी देश ही अफगानिस्तान को समुद्र तक पहुंच प्रदान करते हैं और अधिकांश व्यापार को संभालते हैं। अफगानिस्तान के जंग पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान रणनीतिक रूप से प्रशासन, युद्ध, ऊर्जा और यहां तक कि भोजन के लिए उपयोग किए जाने वाले अफगान सरकार के संसाधनों को बंद करने पर तेजी से काम कर रहा है। तालिबान के लड़ाके राजधानी काबुल तक पहुंच गए हैं। ईद-उल-अजहा से एक दिन पहले काबुल में राष्ट्रपति की नमाज के दौरान तालिबान ने कई रॉकेट दागे। अति सुरक्षित माने जाने वाले ग्रीन जोन में इन रॉकेट के गिरने से लोगों के मन में तालिबान को लेकर डर बैठ गया है।

लंबे समय तक नहीं टिकेगी अफगान सरकार!
एशिया टाइम्स ने पाकिस्तान की बलूचिस्तान प्रांतीय सरकार के पूर्व सलाहकार जान अचकजई के हवाले से दावा किया है कि अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी। तालिबान ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लाइनों को बंद कर दिया है। इतना ही नहीं, सीमाओं पर तालिबान का नियंत्रण होने से आपूर्ति लाइन भी ठप पड़ गई है। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान का शक्ति संतुलन तेजी से तालिबान के पक्ष में झुकता दिखाई दे रहा है।

कुशल रणनीति से सीमा पर कब्जा कर रहा तालिबान
विश्लेषकों का मानना है कि अगर तालिबान आक्रामक तरीके से सीमाओं पर कब्जे की कोशिशें जारी रखता है तो राजधानी काबुल और अन्य सरकार-नियंत्रित क्षेत्रों को जल्द ही भोजन और ऊर्जा की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। उनका मानना है कि तालिबान एक कुशल रणनीति के तहत सीमाओं पर कब्जा कर रहा है। इसका उद्देश्य सरकार के वास्तविक आत्मसमर्पण को मजबूर करना है।

तालिबान के राजस्व में होगा भारी इजाफा
उनका मानना है कि तालिबान जल्द ही निर्यात और आयात वस्तुओं पर भारी शुल्क और करों को जमा करना शुरू कर देगा। 1990 में जब अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण था, तब भी उन्होंने ऐसा ही किया था। इससे तालिबान के राजस्व में वृद्धि होगी और वे लंबे समय तक सरकार के साथ युद्ध जारी रख सकेंगे। ऐसे में अफगान सेना और सरकार के लिए तालिबान की यह रणनीति बहुत ही भारी पड़ने वाली है।(साभार एन बी टी)

Related posts

जुल्म से निजात दिलाओ, यह जमीन आपकी

sayyed ameen

फूटा ‘कोरोना बम’, 2.82 लाख से अधिक नए मामले, 441 की मौत

sayyed ameen

लानत है तुम्हें…! हार्दिक की तारीफ कर बुरे फंसे आमिर

sayyed ameen