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‘डकैती’ का ‘खेल’ रच माधवराव सिंधिया ने भारतीय क्रिकेट टीम के छुड़ाए थे पसीने

वर्चुअल रिअलिटी

नई दिल्ली
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत माधवराव सिंधिया जितने गंभीर नेता थे, उतने ही ज्‍यादा मजाकिया भी थे। यहां तक कि मजाक-मजाक में उन्‍होंने देश के दिग्‍गज क्रिकेट खिलाड़ियों को डराने के लिए ‘डकैती’ का ‘खेल’ भी रच दिया था। इन खिलाड़‍ियों में सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ और इरापल्ली प्रसन्ना जैसे क्रिकेटर शामिल थे। सिंधिया की इस ‘शरारत’ में उनका साथ दिया था भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी ने।
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्ववर्ती ग्वालियर राजघराने के वंशज की खिलाड़ियों को डराने का स्वांग रचने की यह कहानी एक किताब में सामने आई है। इस घटना का जिक्र वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई की हाल में आई किताब ‘द हाउस ऑफ सिंधियाज: ए सागा ऑफ पॉवर, पॉलिटिक्स एंड इंट्रीग‘ में किया गया है। बात उस समय की है जब क्रिकेटरों को ग्वालियर में एक प्रदर्शनी मैच खेलने के लिए आमंत्रित किया गया था।

क्‍या हुआ था?
किताब में कहा गया है कि घटना ग्वालियर में प्रदर्शनी मैच के दौरान उस दिन की है जब माधवराव ने अपने अतिथियों (क्रिकेट खिलाड़ियों) को शिवपुरी में शिकार (उन दिनों शिकार की अनुमति थी) पर ले जाने का फैसला किया।
किदवई ने लिखा है, ‘जब खिलाड़ी रात में सोने चले गए तो आधी रात के समय उन्हें गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी और उन्होंने खुद को ‘डकैतों’ से घिरा पाया जो कह रहे थे कि वे उनका अपहरण कर लेंगे। सभी लोगों से जीपों में बैठने और अपना सारा सामान सौंप देने को कहा गया।’

हक्‍का-बक्‍का थे खिलाड़ी
किताब के अनुसार, इस दौरान विश्वनाथ और प्रसन्ना खासतौर से काफी हक्का-बक्का थे और वे चिल्लाकर कहने लगे कि वे भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं और देश को उनकी आवश्यकता है।

हालांकि, ‘डकैतों’ ने दिखावा करते हुए कहा कि उन्होंने क्रिकेट के बारे में कभी नहीं सुना। नाटक कुछ देर तक चला और अंत में खिलाड़ियों ने तब राहत की सांस ली जब उन्हें बताया गया कि ‘डकैत’ असल में माधवराव सिंधिया के कर्मचारी हैं और समूची घटना का स्वांग रचा गया है।
इस दिलचस्प घटना को सिंधिया परिवार के मित्र और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी ने भी याद किया था और टेलीविजन पर एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि मजाक के पीछे उनका और माधवराव का हाथ था। (साभार एन बी टी)

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