दार्जीलिंग. अलग राज्य (गोरखालैंड) की मांग को लेकर 15 साल पहले अस्तित्व में आए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने आखिरकार इस मुद्दे को छोड़ने और क्षेत्र के लिए राजनीतिक समाधान तलाशने का फैसला किया है. जीजेएम ने सोमवार को अपना रुख बदलते हुए कहा कि गोरखा समुदाय और पहाड़ी आबादी के लिए पश्चिम बंगाल के दायरे में रहना ज्यादा फायदेमंद होगा. इसे एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके राज्य के उत्तरी हिस्से के लिए दूरगामी परिणाम होने की संभावना है.
सोमवार को जीजेएम के एक प्रतिनिधिमंडल ने हमरो पार्टी के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक की, जो उत्तर बंगाल की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं. बैठक के बाद जीजेएम महासचिव रौशन गिरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘हम अब अलग गोरखालैंड राज्य नहीं चाहते हैं. बल्कि हम राज्य के भीतर ही समाधान चाहते हैं. हम पश्चिम बंगाल के भीतर रहना चाहते हैं और पहाड़ी क्षेत्र के विकास के लिए काम करना चाहते हैं.’ जीजेएम का हृदय परिवर्तन ऐसे समय में हुआ है, जब पहाड़ी क्षेत्र के कुछ भाजपा विधायक एक अलग उत्तर बंगाल राज्य के गठन की मांग कर रहे हैं.
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस सहित कई अन्य राजनीतिक दलों ने जीजेएम के इस कदम का स्वागत किया. वरिष्ठ तृणमूल नेता गौतम देब ने कहा, ‘हम जीजेएम के फैसले का स्वागत करते हैं. पहाड़ी क्षेत्र ने कई दशकों से बहुत खून-खराबा देखा है. हमें उम्मीद है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में क्षेत्र में विकास का एक युग आएगा.’ हाल ही में अलग दार्जीलिंग राज्य की मांग करने वाले कुर्सेओंग के भाजपा विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा ने दावा किया कि जीजेएम पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘जीजेएम ने इस मांग और इस दिशा में लोगों द्वारा दिए गए बलिदान के साथ समझौता किया है. उसने जनता का समर्थन खो दिया है. हम अलग राज्य चाहते हैं. यह स्थानीय निवासियों का सपना है.’
मालूम हो कि अलग गोरखालैंड राज्य की मांग ने 1980 के दशक में जोर पकड़ा था. सुभाष घीसिंग के नेतृत्व गोरखालैंड लिबरेशन फ्रंट के आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था. आखिरकार 1988 में अर्द्धस्वायत्त गोरखालैंड पर्वतीय परिषद की स्थापना हुई. परिषद के पहले चुनाव में घीसिंग को जीत मिली और वह परिषद के चेयरमैन नियुक्त हुए. जीएलएफ ने लगातार तीन बार चुनाव में जीत हासिल की. चौथे चुनाव 2004 में होने थे, मगर बगैर चुनाव के ही घीसिंग को परिषद की कमान दे दी गई. इससे असंतोष उभरा और विमल गुरुंग ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का गठन किया.(साभार न्यूज़18)