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‘ओमिक्रॉन’ के खिलाफ असरदार हैं कोविशील्ड और कोवैक्सिन?

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नई दिल्ली. दक्षिण अफ्रीका में SARS-CoV-2 के नए वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ (Omicron) के उद्भव के साथ ही कुछ अन्य देशों में भी इसकी मौजूदगी को लेकर भारत की चिंता बढ़ा दी है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नए वेरिएंट के खिलाफ अधिकारियों को सक्रिय होने और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के दिशानिर्देशों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है. दक्षिण अफ्रीका ने नए स्वरूप के बारे में सबसे पहले बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को सूचित किया और बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग तथा इज़रायल में भी इसकी पहचान की गई है.

वायरस के नए स्वरूप को संभवत: अधिक संक्रामक बताया जा रहा है जिसे डब्ल्यूएचओ ने ‘ओमिक्रॉन’ नाम दिया है. अब तक उपलब्ध जानकारी के आधार पर, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने कहा कि कोविड के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे mRNA टीके ओमिक्रॉन के विरुद्ध असरदार नहीं हो सकते हैं.

पांडा ने कहा, “mRNA टीके स्पाइक प्रोटीन और रिसेप्टर इंटरैक्शन की ओर निर्देशित होते हैं. इसलिए mRNA टीकों को कोरोना के नए स्वरूप में आए बदलाव के अनुरूप करने की आवश्यकता है, लेकिन सभी टीके समान नहीं हैं. कोविशील्ड और कोवैक्सिन हमारे शरीर में एक अलग एंटीजन प्रस्तुति के माध्यम से प्रतिरक्षा (Immunity) उत्पन्न करते हैं.”

ओमिक्रॉन को लेकर और अध्ययन की जरूरत
डॉ पांडा ने कहा कि वैज्ञानिकों ने अब तक ओमिक्रॉन में संरचनात्मक परिवर्तन देखे हैं, लेकिन यह जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है कि यह वेरिएंट कोविड के अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक घातक है. पांडा ने कहा, “नए वेरिएंट में संरचनात्मक परिवर्तन देखे गए हैं जो संचरण की संभावना के साथ कोशिका, कोशिकीय स्नायु (Cellular Receptors) में वृद्धि के साथ पालन की संभावना का संकेत है.”

ओमिक्रॉन के व्यापक असर पर कहना अभी जल्दबाजी
लेकिन क्या वेरिएंट वास्तव में तेजी से फैल रहा है या संक्रमण के समूहों का कारण बन रहा है… इसमें थोड़ा और समय लग सकता है एवं इसकी जांच किये जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जांच से उनका मतलब प्रयोगशाला आधारित अवलोकन, जनसंख्या आधारित अध्ययन से था.

WHO ने नए वेरिएंट को बताया है Variant of Concern
डॉ पांडा ने कहा, “डब्ल्यूएचओ ने इस सब की जांच की है और हमें यह पता लगाने के लिए कुछ और समय तक इंतजार करने की जरूरत है कि क्या इस वायरस की वजह से सामूहिक संक्रमण हो रहा है या बीमारी का गंभीर रूप या अत्यधिक मौतें हो रही हैं. इन सभी को ध्यान में रखते हुए, डब्ल्यूएचओ ने इसे चिंता का संस्करण (Variant of Concern) बताया है.”

वैज्ञानिकों ने पहले ही अध्ययन में पाया है कि इस वेरिएंट में 10 उत्परिवर्तन (Mutations) हैं. विशेषज्ञ ने कहा कि एक वेरिएंट जितना अधिक उत्परिवर्तित (Mutate) होता है, वह उतना अधिक संक्रामक हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नही है कि वह वेरिएंट घातक भी हो.(साभार न्यूज़18)

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