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इस बार ज्यादातर मरीज घर पर ही हो रहे हैं ठीक

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नई दिल्ली
कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले की तरह इस बार भी अधिकतर मरीजों में या संक्रमण पाए जाने के बाद भी या तो लक्षण नहीं आ रहे हैं या बहुत हल्के लक्षण आ रहे हैं। पिछली वेव में भी सरकार ने ऐसे कोविड संक्रमित मरीजों के लिए होम आइसोलेशन क्राइटेरिया की शुरुआत की थी और इस बार भी ऐसा ही किया जा रहा है। आईसीएमआर द्वारा कोरोना संक्रमित होने पर होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है।

अब 7 दिनों का होम आइसोलेशन
अब तक होम आइसोलेशन का पीरियड 14 दिनों का होता था, लेकिन अब इसे 7 दिनों का कर दिया गया है। एक हफ्ते में अगर तीन दिन तक लगातार मरीज को फीवर नहीं आता है, तो उसका होम आइसोलेशन खत्म हो जाएगा। बिना जांच के मरीज इससे बाहर आ सकता है। दिल्ली में वर्तमान हालात को लेकर एम्स के कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर नीरज निश्चल ने कहा कि तीन चीजों पर ध्यान देनें की जरूरत है, पेशन्स(धैर्य), पॉजिटिव सोच और पारासिटामोल। बस इतनी ही जरूरत है।

इन गाइडलाइंस का रखें ख्याल
गाइडलाइंस के अनुसार होम आइसोलेशन वाले मरीजों को कुछ खास चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। वेंटिलेशन वाला कमरा हो। अलग टॉयलेट हो। मरीज जो ट्रिपल लेयर मास्क पहनने की सलाह दी गई है। डाइट में ज्यादा लिक्विड का सेवन करें। बिना लक्षण वाले मरीज और हल्के लक्षण वाले मरीज जिनका ऑक्सिजन सेचुरेशन 93 परसेंट से ज्यादा हो, उन्हें होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है।

बिना लक्षण वाले और माइल्ड मरीज जो होम आइसोलेशन में रहेंगे, उनसे जिला स्तर पर बने कंट्रोल रूम को लगाातार संपर्क में रहना होगा। कंट्रोल रूम उन्हें जरूरत पड़ने पर टेस्ट कराने, लक्षण के आधार पर आगे के इलाज की जरूरत के बारे में सलाह देंगे। मरीजों को अपने मन से इलाज करने या दवा लेने की मनाही है और साथ में स्टेरॉयड जैसी दवा के प्रयोग से बचने की सलाह दी गई है। सीटी स्कैन हो या चेस्ट एक्सरे, बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं कराएं।

होम आइसोलेशन में इन नियमों का पालन जरूरी

1. एसिम्टोमेटिक मरीज के संपर्क में आए लोगों की जांच जरूरी नहीं है
2. कोविड संक्रमित मरीज परिवार से अलग अपने कमरे में ही रहे
3. घर में अगर परिवर के बाकी सदस्य भी हैं, तो कम से कम एक मीटर की दूरी रखें
4. अगर घर में कोई बुजुर्ग हो, कोई पहले से बीमार हो, प्रग्नेंट महिला हो, बच्चे हों तो उन्हें अलग रहने की सलाह है
5. अगर घर में कोई भी संक्रमित इंसान है, तो उन्हें बाहर नहीं जाना चाहिए। सभी को आइसोलेश में रहना चाहिए
6. घरेलू सामान को शेयर करने से बचें, खासकर टॉवेल, साबुन, बर्तन, ग्लास, कप, बेड्स आदि
7. घर के अंदर सभी ट्रिपल लेयर मास्क का प्रयोग करें, अगर मरीज के कमरे में जा रहे हैं, तो एन 95 मास्क का प्रयोग बेहतर है
8. आइसोलेशन के दौरान मरीज हर समय सर्जिकल मास्क का प्रयोग करे, इसे रोजाना बदलें और सही से डिस्पोज करें
9. आइसोलेशन में रहते हुए अगर खांसी, फीवर या सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने लगे, तो हेल्पलाइन पर फोन करें

10. सेल्फ टेस्ट की सलाह दी गई है, लेकिन बार बार रिपीट न करें

11. फीवर चेक करने के लिए घर में थर्मामीटर रखें, हो सके तो इसका चार्ट बना लें, ताकि डॉक्टर से संपर्क के दौरान बता सकें
12. ऑक्सिमीटर जरूरी है, 93 परसेंट से अगर सेचुरेशन कम हो तो अस्पताल में मरीज को भर्ती करने की जरूरत है।

पैनिक न हो, तीन बातों पर ध्यान रखें
एम्स के कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर नीरज निश्चल ने कहा कि तीन P पर ध्यान देने की जरूरत है। पहला पेशन्स, यानी धैर्य रखें। पैनिक न हों। इस बार स्थिति पहले जैसी नहीं है। हल्के लक्षण हैं और बिना किसी इलाज के अधिकांश मरीज ठीक हो रहे हैं। इसलिए धैर्य जरूरी है। दूसरा पी का मतलब है पॉजिटिव सोच की। डॉक्टर ने कहा कि अक्सर कोविड के बारे में सुनते ही लोग नाकरात्मक विचार से घिर जाते हैं। अपनी सोच पॉजिटिव रखें। इसके लिए योग करें, मेडिटेशन करें और तीसरा पी का मतलब है पारसिटामोल। इस बार केवल पारासिटामोल दवा की ही जरूरत है। जितने लक्षण हो रहे हैं, उसके लिए यह दवा ही उपयोगी साबित हो रही है। ज्यादातर लोगों को फीवर के साथ बॉडी पेन है, जिसके लिए यह एक दवा ही उपयोगी है।

पॉजिटिव कैसे रहें : कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर हरीश गुप्ता ने कहा कि कोरोना में अक्सर लोग पैनिक हो जाते हैं। मन में नकारात्मक सोच आने लगती है। यह सोच उन्हें बीमारी से ऊबरने नहीं देती या ये कहें कि उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लगता है। इसलिए पॉजिटिव सोच बनाए रखने के लिए योग करें, मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं। आइसोलेशन में रहते हुए आप अपनी पसंद की मूवी देख सकते हैं, किताबें पढ़ सकते हैं। फोन पर पुराने दोस्त और रिश्तेदार से बातें कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि बीमारी पर नहीं बल्कि पॉजिटिव बातों पर ही बातें हों।

फीवर जांच और दवा : डॉक्टर हरीश गुप्ता ने कहा कि इस बार भी लोगों में फीवर हो रहा है। फीवर के साथ बॉडी पेन भी होता है। होम आइसोलेशन में लोगों को अपने घर में थर्मामीटर से जांच करते रहना चाहिए और इसका चार्ट तैयार करना चाहिए। अगर फीवर 99.8 से 100 डिग्री तक और इससे ज्यादा रहे तो पारसिटामोल की टैबलेट ले सकते हैं। दिन भर में ज्यादा से ज्यादा तीन से चार बार लें। इसके अलावा अगर गले में खराश हो तो लिवोसिट्राजीन ले सकते हैं। दिन में एक बार।


ऑक्सिजन सेचुरेशन : 
पिछली कोविड लहर में लगभग हर घर में ऑक्सिमीटर रखा गया था। अगर घर पर कोई कोरोना संक्रमित मरीज है, तो बीच-बीच में उसका ऑक्सिजन लेवल जांच लें। अगर 93 परसेंट से कम हो जाए, तो उन्हें तुंरत अस्पताल लेकर जाएं।

क्या खाएं पीएं : डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि किसी भी बीमारी से रिकवर होने में खानपान का बहुत ज्यादा महत्व है। कोरोना में इस बार मरीजों को बहुत सारे पुराने लक्षण हैं, लेकिन इस बार मुंह का स्वाद इस बार नहीं जा रहा है और स्मेल जा रही है। इसलिए खाने में स्वाद बना हुआ है। कोशिश करें कि हल्का खाना खाएं, जो आसनी से पच जाए। दलिया, खिचड़ी, आदि का सेवन ज्यादा करें। फल खाएं। सलाद लें। ज्यादा से ज्यादा लिक्विड लें। पानी, जूस लें।

हाई बीपी और डायबिटीज के मरीज : डॉक्टर ने कहा कि आजकल यह दो बीमारी बहुत कॉमन है, लेकिन इन दो बीमारी के शिकार मरीजों में कोरोना सीवियर हो जाता है। इसलिए इन्हें हाई बीपी को कंट्रोल में रखना चाहिए। बीपी की दवा समय पर लेते रहें ताकि अनकंट्रोल न हो। घर पर मशीन रखें और जांच करते रहें। इसी तरह डायबिटीज के मरीजों को भी अपना शुगर लेवल नियंत्रण में रखने के लिए दवा लेते रहना चाहिए। किसी भी प्रकार की अनदेखी या लापरवाही न हो।

बुजुर्ग रखें खास ध्यान : डॉक्टर हरीश गुप्ता ने कहा कि बुजुर्गों के लिए यह बीमारी शुरू से ही खतरनाक रही है। क्योंकि उम्र की वजह से इनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। कुछ लोग बीमार होते हैं, जिससे उनकी इम्यूनिटी और कमजोर हो जाती है। ऐसे लोगों को कोरोना संक्रमण होने के बाद सीवियर होने का खतरा सबसे ज्यादा है। इसलिए, इनका खास ध्यान रखना चाहिए। परिवार के लोगों की जिम्मेदारी ज्यादा है। इनके सभी पारामीटर पर परिवार के लोगों को नजर रखनी होगी। अगर ऑक्सिजन लेवल 93 परसेंट से कम हो जाए, छाती में जकड़न हो, बहुत ज्यादा थकान होने लगे, मरीज कंफ्यूजन वाली स्थिति में पहुंच जाए, तो ऐसे मरीजों को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की जररूत है।(साभार एन बी टी)

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